सिमरिया कल्पवास के दौरान सिद्धाश्रम ज्ञान मंच परिसर में उमड़ रही है भीड़
बेगूसराय, 07 नवम्बर (हि.स.)। बेगूसराय में स्थित मिथिला के पावन गंगा तट सिमरिया धाम में चल रहे राजकीय कल्पवास मेला में अध्यात्म और भक्ति की अद्भुत रसधार बह रही है। स्थाई मठ-मंदिरों के अलावा कल्पवास मेला क्षेत्र में लगे एक सौ से अधिक खालसा तथा तमाम पर्णकुटी में सुबह से रात तक हर ओर भक्ति का माहौल बना हुआ है।
कहीं कार्तिक महात्म हो रहा है तो कहीं श्रीमद् भागवत और रामायण का पाठ। साधु-संत कल्पवासियों को अपने सनातन संस्कृति के धर्म शास्त्रों की पंक्ति से रूबरू करवा रहे हैं। सबसे अधिक श्रद्धालुओं के आस्था केंद्र बना हुआ है सर्वमंगला सिद्धाश्रम। जहां सिर्फ मिथिला ही नहीं, बल्कि बिहार और कई राज्यों के श्रद्धालु कल्पवास कर भगवत भक्ति में लीन हैं।
मंगलवार को सिद्धाश्रम के ज्ञान मंच से स्वामी चिदात्मन जी ने कहा कि वेद के अनुसार मां सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं, इसके बाद पिता और फिर गुरु। दीक्षा गुरु की दो श्रेणी होती है, प्रथम प्रक्रिया वैदिक है और दूसरी प्रक्रिया वेद आधारित सांप्रदायिक है। वैदिक प्रक्रिया से ही पुरनत्व की प्राप्ति होती है। ठीक उसी प्रकार जैसे किसी पात्र का गंगा जल गंगा नहीं हो सकता है।
उन्होंने कहा कि तत्व ज्ञान सिर्फ वेद मात्र से ही प्राप्त हो सकता है, वह तत्व ज्ञान जिससे पुरनत्व पाकर मानव इह लौकिक सुख एवं पारलौकिक गति को प्राप्त करते हैं। दान देने से धन नहीं घटता है, जो मनुष्य विधिवत कन्यादान करता है, वह दस हजार अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्ति करता है। शिष्टाचार मनुष्य को महान बनाता है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय बिछावन पर नहीं रहना चाहिए।
चिदात्मन जी ने कहा कि ''चला चले च संसारे, धर्मः एको ही निश्चला। सदा सज्जनों की संगति करनी चाहिए। दुष्ट की संगति नहीं करनी चाहिए। सब सुख देने वाले भगवान होते हैं। इसलिए भगवान का भजन करना चाहिए। इस अवसर पर रविन्द्र ब्रह्मचारी, राजगीर कुमार, मीडिया प्रभारी नीलमणि सदानंद झा, अरविंद चौधरी, राजेश झा, दिनेश झा, मोनू झा ,राम झा, श्याम झा अरूणा देवी, संयुक्ता देवी एवं रंजना देवी भी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/गोविन्द
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