शरद पूर्णिमा के मौके पर विश्व प्रसिद्ध सिमरिया कल्पवास मेला में उमड़ी भीड़
बेगूसराय, 28 अक्टूबर(हि.स.)। मिथिला और मगध के पावन स्थल संगम स्थल गंगा तट सिमरिया धाम में शनिवार को शरद पूर्णिमा स्नान के सा विश्व प्रसिद्ध कार्तिक कल्पवास मेला अपने शबाब पर आ गया है। परंपरा के तहत बड़ी संख्या में बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा एवं बंगाल ही नहीं, नेपाल के भी श्रद्धालु यहां पहुंच चुके हैं।
अहले सुबह से ही जुटे बिहार के विभिन्न जिलोंं से श्रद्धालु की भीड़ गंगा स्नान करने के बाद विभिन्न मंदिरों में पूजा पाठ करने में जुट रहे। वहीं, मगध क्षेत्र से बड़ी संख्या में भगत अपनी साधना को सिद्धि करने गंगा किनारे पहुंचे। जहां की अपने देवी देवता का फुलहाइस कर भगतई किया गया। कल्पवास मेला क्षेत्र में कहीं तुलसी पूजन हो रहा है तो कहीं रामायण और भागवत की कथा चल रही है।
राम निहोरा सेवा शिविर द्वारा मिथिलेश दास उर्फ बौआ हनुमान के नेतृत्व में खालसा लग गया है। जिसमें बिहार, नेपाल, मध्य प्रदेश आदि के हजारों कल्पवासी पहुंच चुके हैं। वहीं, श्री मिथिला गौर धाम खालसा वृंदावन के महंत लाडली दास, उड़ीसा जनसेवा खालसा के महंत साधु गदाधर दास, राम जानकी खालसा, लक्ष्मी नारायण कथा कुुंज आदि के श्रद्धालु भी पहुंच चुके हैं। पूरा सिमरिया धाम मिथिला की परंपरा के अनुसार भक्ति से ओतप्रोत हो गया है।
सर्वमंगला सिद्धाश्रम द्वारा स्वामी चिदात्मन जी के नेतृत्व में रामघाट के समीप ज्ञान मंच का शुभारंभ किया गया। उन्होंने कहा कि गुरु का मतलब वह होता है कि जो अपने संतान की रक्षा करे। प्रथम गुरु मां को कहा गया, दूसरा गुरु पिता और तीसरा गुरु दीक्षा गुरु बतलाया गया है। जो इन तीनों के गुरु होते हैं उन्हें परम गुरु कहते हैं और जो सबके इष्ट हैं वे परात्वर गुरु कहलाते हैं। ज्ञानियों में किसी प्रकार कि अपेक्षा नहीं होती है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा
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