आम बिहारियों की सुविधा के लिए लगातार उठा रहे सुधारवादी कदम : विजय कुमार सिन्हा
सहरसा, 31 दिसंबर (हि.स.)। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की सेवाओं को आम नागरिकों तक सरल, पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किए गए भूमि सुधार जनकल्याण संवाद के तहत उप मुख्यमंत्री सह मंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग विजय कुमार सिन्हा ने बुधवार को सहरसा स्थित प्रेक्षागृह में आम समस्या से अवगत होकर जनता को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि भूमि से जुड़े लंबित मामलों के कारण आमजन सबसे अधिक परेशान हैं।राज्य सरकार उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कार्यप्रणाली को लचीला व जनहितैषी बनाने के लिए लगातार सुधारवादी कदम उठा रही है।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि भूमि सुधार जनकल्याण संवाद की शुरुआत 12 दिसंबर को पटना से की गई। इसके बाद 15 दिसंबर को लखीसराय, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया में संवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए तथा पांचवां संवाद सहरसा में किया जा रहा है।
इसी कड़ी में अगला जनसंवाद 5 जनवरी को भागलपुर में निर्धारित है।इस अभियान के तहत राज्य के सभी 38 जिलों के अपर समाहर्ता (राजस्व), भूमि सुधार उप समाहर्ता एवं अंचल अधिकारियों को पटना के ज्ञान भवन में आयोजित कार्यशाला के माध्यम से आम जनता की परेशानियों को दूर करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि विभाग की जिम्मेवारी मिलने के बाद राजस्व व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए लगातार महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। एक जनवरी 2026 से राजस्व अभिलेखों की सत्यापित नकल केवल ऑनलाइन उपलब्ध होगी। भौतिक नकल प्रणाली समाप्त कर दी गई है और डिजिटल हस्ताक्षरित ऑनलाइन प्रति को पूर्ण वैधानिक मान्यता दी गई है। जो अभिलेख अभी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें भी चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन किया जाएगा।
वही नगर निकाय क्षेत्रों में वंशावली निर्गत करने की लंबे समय से चली आ रही समस्या का समाधान करते हुए अब नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्रों में भी अंचलाधिकारी वंशावली जारी करेंगे। इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग तथा नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा संयुक्त विधिक पहल की गई, जिसे 18 दिसंबर 2025 को महाधिवक्ता, बिहार से विमर्श के बाद लागू किया गया।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि एससी एसटी पर्चाधारियों को उनकी आवंटित भूमि पर शत-प्रतिशत दखल दिलाने के लिए “ऑपरेशन भूमि दखल देहानी” शुरू किया गया है। इसके तहत सभी पात्र पर्चाधारियों को शीघ्र न्याय दिलाने और उनके अधिकार सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।
परिमार्जन प्लस के मामलों में देरी को खत्म करने के लिए अब स्पष्ट समय-सीमा तय कर दी गई है। लिपिकीय त्रुटियों के लिए 15 कार्य दिवस, तकनीकी राजस्व त्रुटियों के लिए 35 कार्य दिवस और जटिल मामलों के लिए अधिकतम 75 कार्य दिवस में निष्पादन सुनिश्चित किया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार

