चैती छठ का सायंकालीन सूर्य को अर्घ्य आज, खरना के बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास शुरू
सहरसा,13 अप्रैल (हि.स.)। लोक आस्था का महापर्व चैती छठ नहाय खाय के बाद शनिवार को खरना पर्व मनाया गया।वही खरना के बाद छठ व्रती 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास रखेगी।जिसमें सप्तमी को उदयगामी सूर्य को अर्घ के बाद यह पर्व संपन्न होगा।
खरना के दिन गुड़ एवं चावल से बने प्रसाद को तैयार करने में पवित्रता का पूरा ख्याल रखा जाता है। खरना का प्रसाद पारम्परिक तरीके से मिट्टी के नये चूल्हा पर मिट्टी या पीतल के बर्तन में आम की लकड़ी से तैयार किया जाता है, जिसमें गंगाजल, चावल, दुध एवं गुड़ से खीर बनाया जाता है।सायं में छठ व्रती केला के पत्ते पर रोटी, खरना का खीर एवं फल षष्ठी माता को नैवेद्य चढाती हैं, जिसके बाद छठ व्रती प्रसाद ग्रहण करती है एवं सभी लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है।
रविवार को षष्ठी के दिन सायंकालीन अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा।वही सोमवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ पर्व का समापन होगा। ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान संस्थापक एवं निर्देशक ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं इसके अगले दिन सोमवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर यह छठ पर्व संपन्न होगा।हिंदू पंचांग के अनुसार छठ पर्व वर्ष में दो बार पहला चैत्र एवं दूसरा कार्तिक माह में मनाया जाता है। लोक आस्था का महा पर्व छठ मुख्यतौर पर बिहार एवं अन्य प्रांतो में धूमधाम से मनाया जाता है।चैती छठ चार दिन तक चलने वाला त्योहार है। चैती छठ में सूर्य की उपासना की जाती है।
छठवर्ती महिला अधिवक्ता संगीता सिंह नें कहा कि चैत्र माह में मनाया जाने वाला यह छठव्रत कठिन साधना है।यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होती है एवं सप्तमी को उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद समाप्त होती है। संतान के स्वास्थ, अच्छे भविष्य एवं उसकी रक्षा के लिए महिलाएं चैती छठ व्रत रखती हैं।
इस पर्व को लेकर शहर के शंकर चौक स्थित मंदिर परिसर बने पोखर पर छठ घाट बनाने को लेकर साफ सफाई की गई।इस मौके पर आरएसएस के स्वयंसेवक रंजीत दास,सुभाष अग्रवाल,रामाशंकर साह,रंधीर भगत,अनिल कुमार ने बताया कि चैती छठ को लेकर पोखर के चारों बने छठ घाट की विशेष साफ सफाई की गई है।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा
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