मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ने मुजफ्फरपुर श्रम कोर्ट के फैसले की सराहना की
अररिया 30 अप्रैल (हि.स.)। बिहार प्रदेश मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन समेत समस्त सेल्स मार्केटिंग श्रमिकों ने मुजफ्फरपुर श्रम न्यायालय के फैसले पर हर्ष व्यक्त करते हुए सराहना की। गैर कानूनी तरीके से बर्खास्तगी और अवैध श्रम अभ्यास के विरूद्ध दो दशक से बीपीएसआरए लड़ाई लड़ रहे थे।
जानकारी देते हुए बीपीएसआरए के महामंत्री संत कुमार ने बताया कि फार्मा उद्योग में बड़ी कंपनी टोरेन्ट फार्मास्यूटिकल के प्रबंधन ने वर्ष 2003 में दरभंगा में कार्यरत मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव दीपक कुमार को यूनियन कार्यो के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।
बीपीएसआरए के सक्रिय सदस्य के साथ साथ दीपक कुमार उस समय टोरेन्ट में कार्यरत श्रमिकों के यूनियन के संयोजक भी थे। कम्पनी प्रबंधन द्वारा श्रमिकों के प्रति गलत कार्यो का विरोध और कानून सम्मत लाभ और सुविधाओं के लिए कार्य करने से टोरेन्ट प्रबंधन का मनमानापन नही चल पा रहा था। इसलिए आधारहीन आरोप लगाकर दीपक कुमार को 30 मार्च 2003 को बर्खास्त कर दिया था। अन्य विकल्पों और अवसरों को दरकिनार करते हुए समग्र श्रमिक हितों को ध्यान में रखकर दीपक कुमार ने कंपनी प्रबंधन के अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष का रास्ता चुना।
न्यायिक प्रक्रिया के तहत श्रम न्यायालय मुजफ्फरपुर में मामला दाखिल हुआ तो वहीं बीपीएसआरए ने पूरे बिहार-झारखंड में इस बर्खास्तगी के विरोध कार्यक्रम शुरू किया। कंपनी द्वारा कई जिलों में संगठन सदस्यों को गलत आरोपों से कानूनी प्रपंच से प्रताड़ित करने का प्रयास किया गया। लेकिन इन कुकर्मों का विपरीत प्रभाव होता गया और विरोध तीव्र होता गया।
श्म न्यायालय ने 21 वर्षों के बाद 27 अप्रैल 2024 को फैसला सुनाते हुए दीपक कुमार के सेवा बर्खास्तगी को गैरकानूनी और पूर्णतः आधारहीन बताया।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि टोरेन्ट प्रबंधन ने तथ्यहीन आरोप लगाए और मनमानी पूर्वक दीपक कुमार को हटाया।न्यायालय ने आदेश दिया है कि सेवा बर्खास्तगी तिथि से दीपक कुमार की सेवा बहाली दरभंगा में ही किया जाये और सभी सेवा लाभों और वरीयता केसाथ पूरा भुगतान टोरेन्ट प्रबंधन केद्वारा किया जाये।
महामंत्री ने बताया कि इस निर्णय से प्रबंधनो के द्वारा अनैतिक और गैरकानूनी मनमानी का पर्दाफाश हुआ है और इस संदर्भ में बीपीएसआरए के प्रयासों को मजबूती मिला है !
ये केस ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए है कि इसी केस में सुप्रीम न्यायालय के आदेश के तहत पटना उच्च न्यायालय के निर्णय से सभी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को वर्कमैन के रूप में कानूनी संरक्षण प्राप्त हुआ और उसी के तहत बिहार सरकार ने आठ घंटे कार्य समय निश्चित किया।
उन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक विजय पर बीपीएसआरए सभी जिला यूनिटों में कार्यक्रम आयोजित करेगा और समस्त दवा और मेडिकल क्षेत्र में स्वस्थ कार्य वातावरण हेतु अभियान चलाएगा।मौके पर बड़ी संख्या में मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव मौजूद थे।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/गोविन्द
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