भारतीय जनमानस में है भगवद्गीता का व्यापक प्रभाव:शिरीष भेडसगावकर
पूर्वी चंपारण,22 दिसबंर(हि.स.)। महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के नारायणी कक्ष में शुक्रवार को मानविकी एवं भाषा संकाय के तत्वाधान में गीता जयन्ती महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मानविकी एवं भाषा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रसूनदन्त सिंह ने किया।
मौके पर उन्होने गीता के उपनिषदों का सार की चर्चा करते कहा कि गीता में निष्काम कर्म की उपासना करने पर जोर दिया गया है,ताकि मानव को अपने कर्तव्य का बोध और ज्ञान उचित प्रकार से हो सके। ऐसे में हर मानव के लिए गीता का अध्ययन एवं आत्मसातीकरण आवश्यक है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृत भारती के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख शिरीष भेडसगावकर ने कहा कि भगवद्गीता का संपूर्ण भारतीय जनमानस में व्यापक प्रभाव है। उसी को देखते हुए संस्कृतभारती ने गीता जयन्ती महोत्सव का आयोजन का आरम्भ किया है। उन्होने कहा कि स्वतन्त्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधी, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह इत्यादि महापुरुषों के उज्ज्वल जीवन को गीता ने उत्कर्ष प्राप्त कराया। वर्तमान में परिवेश में भी मानसोपचार हेतु श्रीमद्भगवद्गीता का उपयोग एक अच्छा विकल्प हो सकता है। अतः सभी गीता को पढें एवं पढ़ाएं। वहीं सारस्वत अतिथि बिहार के प्रान्तसंगठन मन्त्री डॉ. श्रवण कुमार ने गीता में निहित कर्मवाद पर जोर दिया ।
गीता महोत्सव में अतिथियों का स्वागत वक्तव्य संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्याम कुमार झा ने किया । उन्होने मन की चंचलता को दूर करने में गीता की भूमिका को व्यक्त देते हुए विषय प्रवर्तन किया । कार्यक्रम का आरम्भ सुखेन घोष के मङ्गलाचरण से हुआ ।
हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/चंदा
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