एनजीटी के निर्देश के आलोक में गंगा और प्रवाहित जल में प्रतिमा विसर्जन पर रोक
बेगूसराय, 23 अक्टूबर (हि.स.)। प्रदूषण तथा नदियों की स्वच्छता के लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण एवं भारत सरकार के निर्देश के आलोक में इस वर्ष भी गंगा सहित सभी नदियों एवं प्रवाहित जल में किसी प्रकार की प्रतिमा विसर्जित नहीं करने की अपील की जा रही है।
दुर्गा पूजा, काली पूजा, छठ पूजा एवं अन्य पूजनोत्सव पर नदी में प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगाए जाने के साथ ही पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा पूजा समितियों, स्थानीय निकाय तथा जिला प्रशासन के दायित्व का निर्धारण किया गया है। पर्यावरण के मद्देनजर इसका पालन कराया जाएगा।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) द्वारा पारित आदेश के आलोक में यह निर्देश जारी किया गया है। इसके तहत प्रतिमाओं में सिंथेटिक, अजैवविघटनीय पदार्थों, प्लास्टर ऑफ पेरिस, थर्मोकॉल ईत्यादि का प्रयोग नहीं करने तथा गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में कोई भी प्रतिमा विसर्जित करने पर रोक लगाई गई है।
कहा गया है कि जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत बिहार सरकार द्वारा चार अक्टूबर 2021 द्वारा अधिसूचित पूजा के उपरांत मूर्ति विसर्जन प्रक्रिया बिहार नियमावली 2021 में मूर्ति विसर्जन के लिए जारी निर्देशों का अनुपालन वैद्यानिक बाध्यता है। इसके अनुसार पालन प्रत्येक पूजा समिति को सुनिश्चित करना होगा।
पूजा समिति पूजन सामग्री फूल, कागज एवं प्लास्टिक से बनी अन्य सजावटी सामग्री को मूर्तियों के विसर्जन से पहले हटा लेना सुनिश्चित करेगी। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली के अनुसार निपटान के लिए जैव-विघटनीय सामग्री अलग कर लिया जाएगा। सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल मूर्ति-विसर्जन की व्यवस्था की जाएगी। विसर्जन के संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी मार्गदर्शिका का कड़ाई से पालन किया जाएगा।
स्थानीय निकाय और जिला प्रशासन का दायित्व है कि मूर्ति विसर्जन कृत्रिम तालाबों में होंगे। किसी भी प्रवाह में मूर्ति विसर्जन पर पूर्ण प्रतिबंध रहे, मूर्तियों के विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाबों को इतनी बड़ी बने जो भीड़-भाड़ से बचने और प्रदूषण के भार को कम करने के लिए पर्याप्त हो। मूर्तियों का विसर्जन निर्धारित समय-सारणी के अनुसार किया जाए।
विसर्जन स्थल पर जनित ठोस कचरा फूल, कपड़ा, सजावट सामग्री आदि के जलाने पर रोक लगनी चाहिए। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि मूर्तियों के विसर्जन के 48 घंटे के भीतर मूर्तियों का अवशेष तथा विसर्जन से संबंधित अन्य सभी अपशिष्ट पदार्थों को हटा दिया जाए। यदि इसे मूर्ति निर्माताओं या अन्य द्वारा पुनः उपयोग के लिए एकत्र नहीं किया जाता है तो ठोस कचरा संग्रह स्थल पर पहुंचाया जाएगा।
संबंधित स्थानीय निकाय इन सामग्रियों का उपयोग खाद और अन्य उपयोगी उद्देश्यों के लिए करेगी। पूजा समिति द्वारा अगर इन नियमों के किसी भी उल्लंघन का प्रतिवेदन बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को भेजा जाएगा, जिससे नियमानुसार कार्रवाई की जा सके। डीएम रोशन कुशवाहा ने बताया कि प्राप्त निर्देश के आलोक में आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा
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