प्राचीन संस्कृति व साहित्य को सरल भाषा में उपस्थापन समय की मांग: राज्यपाल अर्लेकर

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पटना/मधुबनी, 26 अक्टूबर (हि.स.)।जिला के लखनौर प्रखंड निवासी पूर्व कुलपति डॉ शशिनाथ झा के तीन विशिष्ट ग्रन्थों का लोकार्पण शनिवार को हुआ। ग्रन्थों का लोकार्पण राजभवन के दरबार हाॅल में शनिवार को राज्यपाल ने किया।

इस अवसर पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि प्राचीन साहित्य व संस्कृति को सहज भाषा में उपस्थापन वर्तमान समय की मांग है। ‘कीर्तिग्रंथों’ का प्रस्तुति को इतनी सरलता से रखें कि नयी पीढ़ी भी उसे ग्रहण कर लाभान्वित हो सके। शनिवार को राजभवन के दरबार हॉल में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर द्वारा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के पूर्व कुलपति प्रो. शशिनाथ झा द्वारा संपादित एवं अनूदित तीन महत्वपूर्ण ग्रंथों–कीर्तिलता, कीर्तिगाथा, एवं कीर्तिपताका का लोकार्पण किया गया। ये ग्रंथ भारतीय संस्कृति, साहित्य एवं परंपराओं की अमूल्य धरोहर को जीवंत बनाए रखने में सहायक सिद्ध होंगे।

इन तीनों ग्रंथों को आठवीं शती से सत्रहवीं शती की अवहट्ट भाषा परंपरा का मील का पत्थर माना जाता है।किंतु पूर्व प्रकाशित पाठों में कई त्रुटियाँ थीं। डॉ. झा ने काठमाण्डू की प्राचीन पांडुलिपियों के आधार पर संशोधित पाठ प्रस्तुत किया है। जिससे भाषा और तथ्य संबंधी भ्रांतियां दूर हुई हैं। इस संपादन में संस्कृत छाया, हिन्दी एवं मैथिली व्याख्या के साथ भाषावैज्ञानिक विवेचन भी सम्मिलित है। इस अद्वितीय प्रकाशन से मध्यकालीन मैथिली भाषा और ऐतिहासिक तथ्यों में अनेक भ्रांतियां समाप्त हुई हैं।

मौके पर राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्राचीन संस्कृति एवं साहित्य के गूढ़ विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। हमारी नई पीढ़ी इस विरासत से प्रेरणा ले सके। इनके अध्ययन के प्रति रुचि विकसित कर सके।कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

प्रमुख रूप से शिवादित्य ठाकुर, प्रो. इन्दुकान्त झा, डॉ. काशीनाथ झा, भवनाथ झा, आचार्य डॉ. राजनाथ झा, डॉ. शिवानन्द शुक्ल, डॉ. मनोज कुमार झा, अभिनव कुमार, विवेकानन्द पासवान, डॉ. हृदयनारायण झा, शम्भुनन्दन, हीनन्दनश, मुन्ना झा, नवीन कुमार, सुश्री मनीषा, एवं सुश्री प्रतिभा सम्मिलित थे। सभी ने इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार के साहित्यिक उपक्रम से हमारी सांस्कृतिक धरोहर नई पीढ़ी और अधिक निकट पहुंचेगी। उन्हें उनकी समृद्ध परंपराओं का सजीव अनुभव होगा।कार्यक्रम का संचालन पं. भवनाथ झा ने कुशलता से किया।कार्यक्रम का समापन आभार प्रदर्शन के साथ हुआ।जिसमें सभी अतिथियों को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / लम्बोदर झा

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