अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम की सफलता के लिये फैलाई जा रही जागरूकता

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अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम की सफलता के लिये फैलाई जा रही जागरूकता


किशनगंज,26जुलाई(हि.स.)। बचपन में होने वाला यह फाइलेरिया संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। इससे व्यक्ति के अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया से ग्रसित लोगों को भीषण दर्द और सामाजिक भेदभाव भी सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। महिलाओं और बच्चों की तुलना में, पुरुषों में इस संक्रमण के होने की आशंका दोगुना होती है। इसी क्रम में सूबे के 13 जिले के साथ जिले में इस वर्ष आगामी 10 अगस्त से एमडीए राउंड चलाया जाना है।

राज्य सरकार के निर्देश पर जिले के दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लाभार्थियों, जिनमें गर्भवती एवं गंभीर बीमार व्यक्ति को छोड़कर सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम में दवा खिलाने का निर्णय लिया गया है। इसे पूरा करने के लिये जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग कहीं भी चूक नहीं होने देना चाहती। कई इलाकों में लोगों के दवा सेवन के लिये उन्हें प्रेरित करने के लिए नेटवर्क सदस्यों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को जिले की स्वास्थ्य विभाग के सहयोगी संस्था पीसीआई के द्वारा सामुदायिक बैठक का आयोजन कर सभी को दवा खाने के लिए जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया।

सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया कि फाइलेरिया यानी हाथीपांव कभी ठीक न होने वाला एक असाध्य रोग है। फाइलेरिया संक्रमण का पता लोगों को वर्षों बाद चलता है। जब रोग का लक्षण संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर स्पष्ट तौर पर दिखने लगता है। संक्रमण के प्रभाव से रोगी के हाथ, पांव, अंडकोष सहित शरीर के अन्य अंग में अत्यधिक सूजन उत्पन्न होने लगती है। कहा कि ग्रामीण इलाकों व सुदूर इलाकों में लोगों के बीच अभी भी कहीं कहीं नकारात्मक सोच सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम की राह में बाधा है। ऐसा इसलिये है कि उन इलाकों में शिक्षा की कमी है, जिसके कारण लोग दवा खाने से अभी कतराते हैं। जो शिक्षित हैं और जिन्हें फाइलेरिया रोग की जानकारी है, वो तो आसानी से दवा खा लेते लेकिन, जिन परिवारों में शिक्षा की कमी है, वहां पर लोगों को समझाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिये, पिछड़े इलाकों में दवा खिलाने में बुद्धिजीवियों को आगे आकर स्वास्थ्य समिति का सहयोग करना चाहिये। बुद्धिजीवी अपने इलाकों के अशिक्षित लोगों का ज्ञानवर्द्धन करते हुये लोगों को दवा खाने के लिये प्रेरित कर सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / धर्मेन्द्र सिंह / चंदा कुमारी

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