कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल से समय और लागत की होगी बचत : डॉ. रीता सिंह

कटिहार, 16 मार्च (हि.स.)। केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल पर फोकस कर रही है और इसके माध्यम से सरकार खेती को हाईटेक बनाना चाहती है। कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों को समय की बचत के साथ साथ लागत में भी कमी आएगी। इसके अलावा भी कई अन्य फायदे हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत गुरुवार को मनसाही प्रखंड के डुमरिया विशनपुर में ड्रोन के माध्यम से कीटनाशी, व्याधिनाशी एवं सुक्ष्म पोशक तत्वों का प्रत्यक्षण सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. रीता सिंह ने इस संदर्भ में बताया कि इस प्रशिक्षण में विशनपुर के 25 किसानों के खेत में लगे फसल (मकई) पर सागरिका एवं नैनो यूरिया का छिड़काव ड्रोन से किया गया। उन्होंने बताया कि आज के समय में जनसंख्या के लिहाज से इतनी बड़ी आबादी को अन्न सुरक्षा देना बेहद चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में ड्रोन जैसी टेक्नोलॉजी के जरिए की गई प्रिसिजन खेती किसानों को बेहतर विकल्प दे सकती है।
उन्होनें कहा कि किसान ड्रोन में कीटनाशकों और पोषक तत्त्वों से भरा एक मानवरहित टैंक होता है। ड्रोन में पांच से दस किलोग्राम की उच्च क्षमता मौजूद होती है। ड्रोन द्वारा सिर्फ 15 मिनट में करीब एक एकड़ ज़मीन पर पांच से दस किलोग्राम कीटनाशक का छिड़काव समान रूप से किया जा सकता है। इससे समय और लागत की बचत होगी।
डॉ. रीता सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में लगे मखाना फसल पर भी ड्रोन से सागरिका का छिड़काव कर करीब एक सौ किसानों को प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने बताया कि मखाना खेत में पानी के अंदर जाकर समान रूप से रासायनिक खादों का छिड़काव करना मजदूर से संभव नहीं हो पाता है। जबकि ड्रोन द्वारा खेत के किसी एक जगह से छिड़काव किया जा सकता है। इस अवसर पर किसानों के अलावा केंद्र के डॉ. शुशील कुमार सिंह सहित भोला पासवान कृषि विश्वविद्यालय, पूर्णियां की छात्राएं मौजूद थी।
हिन्दुस्थान समाचार/विनोद
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