कालजयी शासक थे महाराज अग्रसेन जी : रामबाबू अग्रवाल

कालजयी शासक थे महाराज अग्रसेन जी : रामबाबू अग्रवाल


पटना, 21 सितम्बर (हि.स.)। अग्रसेन समाज के रामबाबू अग्रवाल ने अग्रसेन जयंती पर देश-राज्यवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कुशल शासकों की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं रहती। उनका लोकहितकारी चिंतन कालजयी होती है। जो युग-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता है।

रामबाबू अग्रवाल ने कहा कि ऐसे शासकों से न केवल जनता, बल्कि सभ्यता और संस्कृति भी समृद्ध और शक्तिशाली बनती है। ऐसे शासकों की दृष्टि में सर्वोपरि हित सत्ता का न होकर समाज एवं मानवता होता है। ऐसे ही महान शासक थे महाराजा अग्रसेन । धार्मिक मान्यतानुसार महाराजा अग्रेसन का जन्म सूर्यवंशीय महाराजा वल्लभ सेन के अन्तिमकाल और कलियुग के प्रारम्भ में आज से 5146 वर्ष पूर्व हुआ था। जो की समस्त खांडव प्रस्थ, वल्लभ गढ, अग्र जनपद (आज की दिल्ली वल्लभ गढ़ और आगरा) के राजा थे।

समाजसेवी रामबाबू अग्रवाल ने कहा कि महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का अग्रदूत कहा जाता है। अपने क्षेत्र में सच्चे समाजवाद की स्थापना के लिए उन्होंने नियम बनाया कि उनके नगर में बाहर से आकर बसने वाले व्यक्ति की सहायता के लिए नगर का प्रत्येक निवासी उसे 1 रुपया व 1 ईंट देगा जिससे आसानी से उसके लिए निवास स्थान व व्यापार का प्रबंध हो जाए । अग्रसेनजी की कार्यशैलीनुसार आज आवश्यकता है, समाज में व्याप्त फिजूलखर्ची रोकने की बढ़ते हुए मदिरा प्रेम से अपने बच्चों को बचाने की काकटेल पार्टीयां एवं उनको बढ़ावा देने वालों से घृणा करने की क्योंकि शराबखोरी के कारण एक्सीडेंट बढ़ रही है। आवश्यकता है, जनहित में समाज का पैसा स्थाई कार्यों में लगे, एक ईट ओर एक रूपयें का अर्थ मकान ओर व्यापार से है। समाज को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयत्न करों। शिक्षण संस्थायें, पारमार्थिक अस्पताल बने जो कि आम समाजजनों के उपयोग के हो । ऐसी धर्मशालायें जो कि जन्म से लेकर मृत्यु तक उपयोगी हो । ।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति, समाज, राष्ट्र तथा जगत की उन्नति मूल रूप से जिन 4 स्तंभों पर निर्भर होती हैं, वे हैं- आर्थिक राजनीतिक, सांस्कृतिक व सामाजिक । महाराज अग्रसेन के युगीन सन्देश 1) प्रजा की सुख-सुविधा एवं सम्पत्रत। 2) राष्ट्र सुरक्षा 3) समाजवाद की देन 4) समभाव समतावाद 5) अहिंसा धर्म की स्थापना 6 ) जीव जंतुओं से प्रेम 7) सर्व शिक्षा अभियान। एक सर्वे के अनुसार देश के कुल इंकम टैक्स का 24 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अग्रसेन के वंशजों का है। कुल सामाजिक एवं धार्मिक दान में 62 प्रतिशत हिस्सा अग्रवंशियों का है। देश की कुल जनसंख्या का मात्र 1 प्रतिशत अग्र-वंशज है, लेकिन देश के कुल विकास में उनका 25 प्रतिशत सहयोग रहता है।

उन्होंने कहा कि 1952 के बाद से देश में 15 चुनाव हो चुके हो चुके है। देश की संसद और विधानसभाओं में अग्रबंधओं और वैश्य समुदाय की संख्या में लगातार कमी आई है इसका प्रमुख कारण यह है कि देश के हरेक राजनीतिक दल चाहे कांग्रेस हो या भाजपा या अन्य कोई उसने वैश्य समुदाय से धन तो लिया लेकिन चुनाव के वक्त उन्हे टिकिट देने में कंजूसी की ।

हिन्दुस्थान समाचार/गोविन्द

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