सरबेला में 66वां उर्स मेले का आयोजन,हुई चादर पोशी

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सरबेला में 66वां उर्स मेले का आयोजन,हुई चादर पोशी


सरबेला में 66वां उर्स मेले का आयोजन,हुई चादर पोशी


सरबेला में 66वां उर्स मेले का आयोजन,हुई चादर पोशी


सरबेला में 66वां उर्स मेले का आयोजन,हुई चादर पोशी


सरबेला में 66वां उर्स मेले का आयोजन,हुई चादर पोशी


सहरसा,26 दिसंबर (हि. स.)। जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड के फरीदगंज सरबेला गांव में हर साल की तरह इस साल भी हजरत सैय्यद शाह जाफर अली फरीदी का 66वां उर्स पूरे अकीदत के साथ धूमधाम से मनाया गया। वहीं मंगलवार की सुबह चादर पोशी किया गया। इस अवसर पर दो दिवसीय जलसा कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। पहले दिन ईद मिलादुन्नबी और दूसरे दिन सुबह में कव्वाली और फातिहा खानी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दूसरे दिन जायरीन ने हजरत सैय्यद शाह जाफर अली फरीदी के दरगाह पर चादर और गुलपोशी भी किया।

खगड़िया एवं अनुमंडल क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय के लोगों को प्रत्येक वर्ष 25 और 26 दिसंबर का दिन बेसब्री से इन्तजार रहता है। पीर हजरत अनवर अली सोहैल फरीदी के नेतृत्व में कार्यक्रम का विधिवत रूप से आगाज हुआ। जिसमें बेगूसराय, खगड़िया,मधेपुरा,पूर्णिया,कटिहार,अररिया सहित सहरसा जिले के विभिन्न इलाकों से लोग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे। जिन्हें रात भर जलसा कार्यक्रम का लोगों ने आनन्द लिया। जिसमें देश के भिन्न राज्यों से मुस्लिम समुदाय के इस्लामिक धर्म गुरु ओलमाये इकराम ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।

बंगाल, झारखंड,यूपी,बिहार से कई मशहूर शायरकार भी कार्यक्रम में पहुंच मनोरंजन का माहौल बनाया, जिन्होंने लोगों के बीच एक से बढ़कर कर अपनी शायराना अंदाज में उर्स फरीदी की महफिल को गुलजार कर दिया। वही दूसरे दिन सुबह में कव्वाल अकरम फरीदी ने कव्वाली की प्रस्तुति दी। हजरत सैय्यद शाह जाफर अली फरीदी के मजार पर चादर पोशी की गई। चादर पोशी के उपरांत देश कि अमन व शांति के लिए अल्लाह की दरगाह में दुआ मांगी।

दो दिवसीय उर्से फरीदी कार्यक्रम में दूरदराज से आने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए आयोजक के द्वारा लंगर की भी व्यवस्था की गई थी। जहां कार्यक्रम के अंतिम दिन हजारों की संख्या में लोगों ने लंगर में शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया। दो दिवसीय कार्यक्रम मनाए जाने वाला सालाना उर्स एकता और आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करता है। गांव और शहर से सभी धर्मों के लोग यहां पूरे उत्साह के साथ पहुंच कर उर्स मनाते हैं।

दरगाह की विशेष मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से अपनी नेक फरियादें लेकर आते हैं उनकी मुरादें जरूर पूरी होती हैं।इस मौके गुलाम सिबतेन फरीदी, मौलाना मुमताज आलम अशरफी,मु.फारुख निजामी, गुलाम शब्बर फरीदी, अहमर फरीदी,लुत्फे रसूल,मिर्जा मोबिन बेग, शब्बीर फरीदी, मास्टर जौवार साहब, तहसीन रजा, मु. मोदस्सिर आलम, साजिद इकबाल,अश्मर आलम, नालेन रसूल,

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा

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