सजने लगा मां बमकाली का दरबार, रंग-रोगन के साथ पूजा की तैयारी शुरू
पूर्णिया, 30 अक्तूबर(हि. स.)। नेपाल, पश्चिम बंगाल, झारखंड सहित अनेक जगहों के श्रद्धालुओं का सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाली मां बमकाली का प्रखंड के कोयली सिमडा पंचायत के सपाहा गांव में दरबार सजने लगा है। यहां प्रत्येक वर्ष दीपावली के दूसरे दिन मात्र एक दिन पूजा-अर्चना एवं एक ही दिन का मेला लगता है। जिसमें सीमावर्त्ती राज्यों, जिलों से लगभग दो लाख श्रद्धालु प्रत्येक वर्ष यहां मन्नत मांगने तथा मनोकामना पूर्ण होने पर पहुंचते हैं।
यहां के लोगों का मानना है तथा देखा गया है कि यहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटा है। यहां दुकान लगाने वाले दुकानदार हों या मां के दरबार में आने वाले श्रद्धालु कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटा। कुछ इसी कारण यहां जहां दुकानदारों की भारी भीड होती है, वहीं इस गैर रूट में भी लोखों की भीड उमडती है। यहां के लोगों का यह भी कहना है कि मां के आदेशानुसार यहां मेला एक दिन ही लगता है। एकबार मां के आदेश की अवहेलना की गयी थी, जिससे यहां के दर्जनों लोग हैजा के शिकार हुए थे तथा असमय काल-कवलित हुए थे। इसलिए फिर किसी ने दुबारा ऐसी हरकत नहीं की।
मां की पुरानी वाली पिंडी आज भी ज्यों की त्यों उसी हालत में है। जिसे काशी के पंडितों द्वारा विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा कराकर नये मंदिर में स्थापित किया गया है। इस पूजा में लगभग दस टन मिठाईयों का चढावा तो चढता ही है, इसके अलावा भी सोने-चांदी के जेवरात भी श्रद्धालु चढाते हैं। जबकि यहां सबसे ज्यादा छागर का चढावा होता है। जिसकी संख्या लगभग दस हजार से कम नहीं होती। छागर के सिर को मंदिर समिति रख लेती है तथा उसे पूरे क्षेत्र में प्रसाद के रूप में सिरा के साथ-साथ मिठाईयां भी बांट देती है। इस मंदिर के विकास में भी क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ श्रद्धालुओं का भारी योगदान रहा है। कुछ इसी कारण यहां इस मंदिर के निर्माण में लगभग एक कडोड की अबतक लागत लग गयी है। जिसमें क्षेत्र के लोगों का श्रमदान भी है।
बताते चलें कि इस तरह का मंदिर शहरों में भी कम ही दिखाई पडते हैं। समिति के सदस्यों का कहना है कि इस मंदिर में पूजा से होनेवाली आय से विकास किया जाता है तथा मंदिर निर्माण में लगाया जाता है। धीरे-धीरे मां के आशीर्वाद से यह मंदिर अपना लगातार भव्यता लेता चला जा रहा है, जो आनेवाले वर्षो में एक अलग ढंग से भव्यता प्राप्त करेगा। ऐसी भव्यता आसपास के क्षेत्रों में देखने के नहीं मिलता है।
हिंदुस्थान समाचार/नंदकिशोर/चंदा
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