बलिया घाट बनने की घोषणा नहीं करने से क्षेत्र के लोग नाराज

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बलिया घाट बनने की घोषणा नहीं करने से क्षेत्र के लोग नाराज


बलिया घाट बनने की घोषणा नहीं करने से क्षेत्र के लोग नाराज


पूर्णिया, 27 अक्तूबर(हि. स.)। दो थानों को जोडनेवाला बलिया घाट पर पुल बनाने की घोषणा सांसद संतोष कुमार कुशवाहा की ओर से नहीं किये जाने से इस घाट से प्रभावित लोगों ने नाराजगी व्यक्त की है तथा सांसद पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया है।

पिछले दिनों सांसद संतोष कुमार कुशवाहा ने मोहनपुर में घोषणा की थी कि बहुत जल्द कांप एवं डुमरी घाट पर पुल का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसी बात को लेकर बलियाघाट क्षेत्र के लोगों में काफी नाराजगी देखने को मिलने लगी है तथा सांसद पर वादाखिलाफी का भी आरोप लगाने लगे हैं।

इस घाट पर नहीं रहने से यहां के लोगों को ना सिर्फ आवागमन में परेशानी हो रही है, बल्कि मौत को भी आमंत्रण देते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं यहां कईबार नाव भी डूब चूकी हैं। दुर्भाग्य कहें कि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित यहां के किसान हो रहे हैं तथा इस क्षेत्र का समुचित विकास बाधित है। मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर दक्षिण बलिया घाट, जो रूपौली छर्रापटी श्रीमाता होते हुए बलिया घाट आती है। ठीक इसी तरह उसपार कंकला जंगलटोला सडक है, जिसके बीच बलिया घाट के पास कारी कोसी नदी गुजरती है। बाढ के दिनों में चचरी पुल खत्म हो जाने पर लोग नाव से ही इसपार से उसपार आवागमन करते हैं। पुल नहीं रहने से लगभग पचास हजार की आवादी प्रभावित होती है। बरसात में नदी में बाढ आ जाने से यह आवागमन प्रभावित होता है तथा लोग तीन किलोमीटर की दूरी चालीस किलोमीटर चलकर पूरा करते हैं या फिर नाव से आर-पार होते हैं। सूखे दिनों में चचरी पुल से लोग सीधा बरेला बहियार होते हुए लगभग छः किलोमीटर की दूरी तय करके श्रीमाता, धूसर, तेलडीहा में एसएच 65 पर पहूंचते हैं। पर जैसे ही बरसात आती है, लोगों को नवटोलिया, बहुती, डोभा, रूपौली, बिरौली होते हुए तेलडीहा पहूंचते हैं, जो समय एवं आर्थिक रूप से भी बोझ हो जाता है। दूसरी परेशानी यह है कि यहां के लोगों की खेती की जमीन दोनों ओर है, जिससे किसानों को अपना अनाज घर तक ले जाने में भारी परेशानी का सामना करना पडता है। खासकर बरसात में चचरी पुल भी ध्वस्त हो जाने से यहां का आवागमन भी खत्म हो जाता है तथा किसान अपनी फसल घर तक ले ही नहीं जा पाते हैं तथा औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हो जाते हैं।

इस संबंध में गोडियरपटी श्रीमाता के मुखिया अमीन रविदास, लक्ष्मीपुर छर्रापटी की मुखिया सुलोचना देवी, सामाजिक कार्यकर्त्ता प्रमोद कुमार मंडल, पैक्स अध्यक्ष हिमांशु कुमार, उपमुखिया सुमन कुमार, अशोक जायसवाल, विनोद पासवान आदि ने बताया कि बलिया घाट में पुल नहीं रहने से यहां का नदी किनारे वाला क्षेत्र अभी भी अविकसित है, लोगों को ना सिर्फ आवागमन में परेशानी हो रही है, बल्कि उनकी किसानी भी मार खा रही है। मोहनपुर की ओर से घाट किनारे तक सडक बन चूकी है। श्रीमाता से बलिया घाट तक पक्की सडक निर्माण की दिशा में लगभग काम हो गया है, बस एक किलोमीटर घाट तक सडक बननी है। अब बस पुल की जरूरत है। बाढ के दिनों में नाव से आर-पार हो रहे यात्री लगभग तीस फीट नीचे नदी किनारे पहूंचकर नाव पर चढते हैं, जिससे वे मौत को सीधा आमंत्रण देते नजर आ रहे हैं। यहां कब भीषण दुर्घटना हो जाए, कहना मुश्किल है। उन्होंने सांसद संतोष कुमार कुशवाहा से मांग की कि वे पिछले चुनाव में किये गए वादे को निभायें तथा इस घाट पर भी पुल बनाने की घोषणा अविलंब करें, ताकि लोगों का चौमुखि विकास हो सके।

हिंदुस्थान समाचार/नंदकिशोर/चंदा

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