विकास के मुद्दे गौण, जातीय गणित तय करेगी विधानसभा में किसे मिलेगी कुर्सी

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विकास के मुद्दे गौण, जातीय गणित तय करेगी विधानसभा में किसे मिलेगी कुर्सी


गोपालगंज, 4 नवंबर (हि.स.)

।बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में गोपालगंज जिले की छह सीटों बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचायकोट, भोरे और हथुआ पर जातीय समीकरण ही निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं। विकास के मुद्दे इस बार पूरी तरह से गौण हो चुके हैं। सड़क, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सवालों की जगह उम्मीदवार अपनी जातीय पकड़ मजबूत करने में लगे हुए हैं। एनडीए, महागठबंधन और नए राजनीतिक मोर्चों के साथ-साथ 46 निर्दलीय प्रत्याशियों की मौजूदगी ने मुकाबले को और त्रिकोणीय व बहुकोणीय बना दिया है।

जिले में इस बार कुल 18 लाख 12 हजार 383 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें 9 लाख 60 हजार 892 पुरुष, 8 लाख 51 हजार 433 महिला और 58 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार विकास नहीं, जातीय समीकरण ही यह तय करेगा कि किसे विधानसभा की कुर्सी मिलेगी। जिले की सामाजिक संरचना में अनुसूचित जाति 11.93%, अनुसूचित जनजाति 2.05% और मुस्लिम मतदाता लगभग 22.6% हैं। वहीं, 84.7% ग्रामीण और मात्र 15.3% शहरी मतदाता राजनीतिक समीकरणों को प्रभावितकरेंगे।

बैकुंठपुर- बागियों से त्रिकोणीय मुकाबला

बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र का चुनाव इस बार सबसे दिलचस्प हो गया है। एनडीए ने पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि टिकट न मिलने से सेवानिवृत्त डीआईजी रामनारायण सिंह बागी तेवर में बसपा से मैदान में हैं। महागठबंधन ने प्रेमशंकर यादव पर दांव खेला है। वहीं, पूर्व प्रमुख पति प्रदीप यादव के बागी रुख ने मुकाबले को और जटिल बना दिया है। जातीय समीकरण के लिहाज से यादव, ब्राह्मण और भूमिहार मतदाताओं की गोलबंदी यहां परिणाम तय करेगी।

बरौली- पुराने नेता बनाम नए चेहरे

बरौली में भी सियासी समीकरण तेजी से बदले हैं। एनडीए ने मंजीत सिंह को प्रत्याशी बनाया है। पूर्व मंत्री और विधायक रामप्रवेश राय का टिकट कटने के बाद उन्होंने मंजीत को समर्थन देने की बात कही है, लेकिन उनके समर्थक कितने सक्रिय रहेंगे, यह देखने वाली बात होगी। दूसरी ओर, महागठबंधन से दिलीप कुमार सिंह मैदान में हैं, जिन्हें बसपा प्रत्याशी और राजद बागी रेयाजुल हक राजू से कड़ी चुनौती मिल रही है।

गोपालगंज सदर-परिवार और पार्टी में खींचतान

गोपालगंज विधानसभा से एनडीए ने जिला परिषद अध्यक्ष सुभाष सिंह को मैदान में उतारा है। भाजपा की वर्तमान विधायक कुसुम देवी का टिकट कटने से पार्टी में असंतोष है। उनके परिवार और समर्थक कितना सहयोग देंगे, यह तय करेगा कि सुभाष सिंह अपनी स्थिति कितनी मजबूत रख पाते हैं। महागठबंधन की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार ओमप्रकाश गर्ग, जबकि बसपा से पूर्व सांसद साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव चुनावी मैदान में हैं। वहीं, भाजपा बागी अनूप कुमार श्रीवास्तव जनसुराज के नैया पर मुकाबले को बहुकोणीय बनाने में लगाए हुए।

हथुआ- सत्तारूढ़ और विपक्ष आमने-सामने

हथुआ विधानसभा सीट पर एनडीए से रामसेवक सिंह और राजद के वर्तमान विधायक राजेश कुमार सिंह के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। दोनों अपने-अपने जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों पर भरोसा जता रहे हैं।

भोरे-त्री बनाम माले उम्मीदवार

भोरे (सु) विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा मंत्री सुनील कुमार एनडीए प्रत्याशी हैं, जबकि महागठबंधन ने भाकपा-माले से धनंजय पासवान को मैदान में उतारा है। इस क्षेत्र में दलित और पिछड़ा वर्ग के मतदाता परिणाम तय करेंगे।

कुचायकोट- पप्पू पांडेय की प्रतिष्ठा दांव पर

कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र में जदयू से पांच बार के विधायक अमरेंद्र कुमार पांडे उर्फ पप्पू पांडेय एनडीए के उम्मीदवार हैं। उनके सामने कांग्रेस के हरिनारायण सिंह और जनसुराज पार्टी के विजय चौबे हैं। इस क्षेत्र में ब्राह्मण, यादव और मुसलमान मतदाताओं की संख्या परिणाम को निर्णायक दिशा दे सकती है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस बार गोपालगंज की चुनावी लड़ाई जातीय गणित पर टिकी है। यदि कोई दल अपने समाज को पूरी तरह गोलबंद कर पाने में सफल हुआ, तो विकास के मुद्दे चाहे पीछे रह जाएं ।विधानसभा की कुर्सी उसी को मिलेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / Akhilanand Mishra

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