राष्ट्रीय विमर्श गंगा बेसिन समस्या और समाधान की तैयारी को लेकर बैठक
भागलपुर, 24 नवंबर (हि.स.)। मुजफ्फरपुर में 28, 29 एवं 30 नवंबर को होने वाले राष्ट्रीय विमर्श गंगा बेसिन समस्या और समाधान की तैयारी की बैठक रविवार को उज्जवल कुमार घोष की अध्यक्षता में कला केंद्र भागलपुर में हुई। बैठक में समाज कर्मी उदय ने कहा कि गंगा सिर्फ नदी नहीं बल्कि संस्कृति है। गंगा जैसी नदियों ने भारतीय भूभाग की उपजाऊ भूमि ही नहीं बल्कि संस्कृति का सृजन किया है। गंगा के समाप्त होने का अर्थ है हमारे संस्कृति का मर जाना।
गौतम मल्लाह ने कहा कि सिर्फ नदियों की पूजा और आरती करने से नदियां नहीं बचेगी। अगर हमें नदियों को बचाना है तो आधुनिक विकास की अवधारणा को बदलना पड़ेगा और मनुष्य और प्रकृति के बीच के सामंजस्य को स्थापित करने वाली विकास की बात की। भागलपुर गंगा मुक्ति आंदोलन की जन्मस्थली है। जिसने 300 साल से चली आ रही पानी दरी (गंगा पर जमींदारी) को खत्म कर कानूनी लड़ाई जीती। विकास की अवधारणा पर चोट किया। हम सब लंबे समय से गंगा बेसिन, प्राकृति को बचाने का अभियान चलाते रहे हैं। मुजफ्फरपुर में होने वाले राष्ट्रीय विमर्श में हम भागलपुर जिला के लोग तन मन धन से शामिल होंगे।
एकचारी से आए जयकरण सत्यार्थी ने कहा कि एक तरफ पर्यावरण पर बड़े-बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन किया जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बड़े-बड़े कल कारखाना और कॉर्पोरेट के हाथों पर्यावरण को बेचा जा रहा है। इसके खिलाफ भी हम आवाज उठाएंगे और बड़ी संख्या में शामिल होंगे। बैठक में यह भी तय हुआ कि अगले वर्ष होने वाले गंगा मुक्ति आंदोलन के वर्षगांठ पर कहलगांव में राष्ट्रीय गंगा विमर्श का आयोजन किया जायेगा।
अध्यक्षता करते हुए उज्जवल कुमार घोष ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश ने 1974 में संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था जिसमें, शिक्षा, संस्कृत, सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ गरिमा पूर्ण जीवन के साथ पर्यावरण के सह अस्तित्व की भी बात की गई थी। इसीलिए छात्र युवा संघर्ष वाहिनी ने गंगा मुक्ति आंदोलन में गंगा और इससे जुड़ी नदियों के पर्यावरणीय मुद्दे को उठाया था। हम आज भी इन मुद्दों के साथ संघर्षरत हैं। बैठक में ललन, सार्थक भरत, गौतम मल्लाह, उदय, उज्जवल कुमार घोष, स्मिता कुमारी, गुड्डू चौधरी, फनी चंद्र, जयंत जलद, राहुल, मनोज कुमार आदि शामिल हुए।
हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर
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