चौसा शौर्यस्थल के विकास से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा:शैलेन्द्र गढ़वाल
बक्सर, 31 दिसंबर (हि.स.)।वीरों की भूमि के रूप में पहचान रखने वाले बक्सर जिले में पर्यटन विकास और आदिवासी हितों को लेकर ठोस और प्रभावी पहल की आवश्यकता है। यह बात अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष शैलेन्द्र गढ़वाल ने बुधवार को चौसा स्थित ऐतिहासिक शेरशाह शौर्यस्थल के निरीक्षण के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि जिले के जनजातीय इलाकों के लगातार भ्रमण से यह स्पष्ट हुआ है कि यहां कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें मौजूद हैं, जिन्हें संरक्षण और विकास की सख्त जरूरत है।
उन्होंने बताया कि चौसा वही ऐतिहासिक स्थल है, जहां वर्ष 1539 में मुगल शासक हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच निर्णायक युद्ध हुआ था। कर्मनाशा और गंगा नदी के संगम पर स्थित यह स्थल आज भी उपेक्षा का शिकार है। यदि इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए तो यहां देश-विदेश से पर्यटक आ सकते हैं और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
शैलेन्द्र गढ़वाल ने कहा कि बक्सर समाहरणालय में आयोग से जुड़े लंबित मामलों को लेकर समीक्षा बैठक की गई है। कई महीनों तक पत्राचार और रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद प्रगति नहीं होने पर आयोग को स्वयं यहां आना पड़ा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति और जनजाति से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने बताया कि आयोग का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें जागरूक करना है। इस अवसर पर आयोग सदस्य राजू खरवार, जदयू जिलाध्यक्ष अशोक सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप कुमार ओझा

