कोहिनूर की चमक के आगे भुला दिये गए ये बेशकीमती हीरे
प्राचीन समय से ही हीरों के लिए आमजन से लेकर राजे-महाराजाओं में भी गजब का आकर्षण रहा है। कोई इन्हें देवताओं का आँसू बताता तो कोई सितारों का अंश। वहीं भारत की बात करें तो पूरी दुनिया मे विख्यात कोहिनूर हीरे की चमक और किस्से कहानियों के आगे अन्य बेशकीमती हीरों को तकरीबन भुला ही दिया गया है। जबकि, देश मे कोहिनूर के अलावा भी कई ऐसे हीरे रहे जो सदियों तक राजे-महाराजाओं की शान-ओ-शौकत के प्रतीक माने जाते रहे हैं।
ब्रिटिश रॉयल म्यूजियम में रखे कोहिनूर हीरे की बात दो पल के लिए भूल भी जाएँ तो भारत में एक दो नहीं बल्कि, दसियों ऐसे हीरे मौजूद थे जिसे हासिल करना और उन्हे अपने ताज में जड़वाना भारतीय राजाओं का प्रिय शगल था। ऐसे भी हीरे मौजूद थे इस धरती पर जिन्हे हासिल करने के लिए राजा-महाराजा और सुल्तान अनेकों जंग तक लड़ चुके हैं। हम आपको बताते हैं की आखिर वो कौन कौन से बेशकीमती हीरे हैं जिन्हें धरण करना कभी फक्र की बात समझी जाती थी।
ग्रेट मुग़ल
भारत के सबसे वजनीले हीरे की बात करें तो नाम आता है ग्रेट मुगल का। गोलकुंडा की खान से 1650 में जब यह हीरा निकला तो इसका वजन 787 कैरेट था। यानी कोहिनूर से करीब छह गुना भारी। कहा तो यह भी जाता है कि कोहिनूर भी ग्रेट मुगल का ही एक अंश है। इसकी तुलना इरानियन क्राउन में जड़े बेशकीमती दरिया-ए-नूर हीरे से भी की जाती है। 1665 में फ्रांस के जवाहरातों के व्यापारी ने इसे अपने समय का सबसे बड़ा रोजकट हीरा बताया था। नादिरशाह के खजाने की शान यह हीरा आज समय की खराद पर घिसकर 280 कैरेट का हो चुका है। यह हीरा आज कहां है किसी को पता नहीं।
अहमदाबाद डायमंड
लंबे समय से गुमनाम भारतीय हीरों की सूची में आगरा डायमंड और अहमदाबाद डायमंड भी शामिल हैं। अहमदाबाद डायमंड को बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई के बाद ग्वालियर के राजा विक्रमजीत को हराकर हासिल किया था। तब 71 कैरेट के इस हीरे को दुनिया के 14 बेशकीमती हीरों में शुमार किया जाता था। हल्की गुलाबी रंग की आभा वाले 32.2 कैरेट के आगरा डायमंड को हीरों की ग्रेडिंग करने वाले दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका ने वीएस-2 ग्रेड दिया है। नाशपाती के आकार वाले 78.8 कैरेट के अवध की बेगम हजरत महल के अहमदाबाद डायमंड को 1995 में क्रिस्ले में 4.3 मिलियन डॉलर यानी करीब 20 करोड़ 75 लाख रुपये में नीलाम किया गया था। आज यह हीरा भी विदेश में है।
आगरा डायमंड
मुग़ल बादशाह बाबर और अकबर तो बाकायदा आगरा डायमंड को अपनी पगड़ी में बांधकर रखते थे। इस दुर्लभ हीरे को आखिरी बार 1990 में लंदन के क्रिस्ले ऑक्सन हाउस की नीलामी में देखा गया था। तब हांगकांग की शीबा कॉरपोरेशन ने इसे फोन से लगाई गई बोली में करीब 34 करोड़ रुपये (6.9 मिलियन डॉलर) में खरीदा था। तभी से यह बेशकीमती हीरा लापता है।
द रीजेंट
द रिजेंट की कहानी भी कुछ ऐसी ही हैं। 1702 के आसपास यह हीरा गोलकुंडा की खान से निकला। तब इसका वजन 410 कैरेट था। मद्रास के तत्कालीन गवर्नर विलियम पिट के हाथों से होता हुआ द रिजेंट फ्रांसीसी क्रांति के बाद नेपोलियन के पास पहुंचा। नेपोलियन को यह हीरा इतना पसंद आया कि उसने इसे अपनी तलवार की मूठ में जड़वा दिया। अब 140 कैरेट का हो चुका यह हीरा पेरिस के लेवोरे म्यूजियम में रखा गया है।
ब्रेलिटी ऑफ इंडिया
गुमनाम भारतीय हीरों की लिस्ट में अगला नाम आता है ब्रोलिटी ऑफ इंडिया का। 90.8 कैरेट के ब्रोलिटी को कोहिनूर से भी पुराना बताया जाता है। 12वीं शताब्दी में फ्रांस की महारानी में इसे खरीदा। कई सालों तक गुमनाम रहने के बाद यह हीरा 1950 में सामने आया। जब न्यू यॉर्क के जूलर हेनरी विन्सटन ने इसे भारत के किसी राजा से खरीदा। आज यह हीरा यूरोप में कहीं है।
ओरलोव
एक और गुमनाम हीरे ओरलोव की गुमनामी की दास्तान भी कुछ ऐसी ही है। लगभग 18वीं शताब्दी के इस 200 कैरेट के हीरे को सालों पहले मैसूर के मंदिर की एक मूर्ति की आंख से फ्रांस के व्यापारी ने चुराया था। बताया जाता है कि आज यह हीरा रूस के रोमनोव वंश के ऐतिहासिक ताज में जड़े साढ़े आठ सौ हीरे-जवाहरातों में से एक है।
इन हीरों के अलावा द ब्लू होप (45.52 कैरेट) और द नेपाल (79.41) भी भारत के गुमनाम बेशकीमती हीरों की कतार मे शामिल है। कोहिनूर को ब्रिटिश क्राउन में जगह मिलने के कारण पूरी दुनिया में ख्याति मिली। इसे गाहे-बगाहे उसे देश में वापस लाने की मांग भी उठती रही है। लेकिन कोहिनूर को छोड़कर बाकी भारतीय हीरों की किस्मत इतनी अच्छी नहीं रही। कभी बादशाहों की शान रहे ये हीरे आज गुमनामी के अंधेरे में कैद हैं।
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