किसी भी उम्र में हो सकता है टीबी, जानकारी ही बचाव : डॉ एके मौर्य

किसी भी उम्र में हो सकता है टीबी, जानकारी ही बचाव : डॉ एके मौर्य
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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2025 तक क्षय रोग (टीबी) के खात्मे के संकल्प को पूरा करने को लेकर सरकार व स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से कमर कसे हुये है । सरकार द्वारा प्रत्येक स्तर पर क्षय रोग के उन्मूलन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं । प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा आए दिन क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा की जा रही है। इसके साथ ही उनके द्वारा टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने की अपील भी की जा रही है। जनपद के समस्त सरकारी चिकित्सालय के साथ ही साथ पंजीकृत निजी चिकित्सालय, निजी लैब, मेडिकल स्टोर, स्वयं सेवी संस्थाएं आदि क्षय उन्मूलन के लिए बढ़-चढ़कर आगे आ रहीं हैं। 

इस सम्बन्ध में बात करते हुए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके मौर्य ने बताया कि हर उम्र में क्षय रोग के होने की संभावना रहती है। 14 साल तक दो फीसदी लोगों में टीबी होने की संभावना है। वहीं 15 से 24 वर्ष तक 21 फीसदी, 25 से 34 वर्ष तक 23 फीसदी, 35 से 44 वर्ष तक 20 फीसदी, 45 से 54 वर्ष तक 16 फीसदी, 55 से 64 वर्ष तक 11 फीसदी और 65 वर्ष से अधिक के सात फीसदी लोगों में टीबी की संभावना रहती है। 

देखा जाए तो 15 से 54 वर्ष तक के लोगों को टीबी होने का सबसे अधिक खतरा रहता है। इसलिए हम कह सकते हैं टीबी किसी भी उम्र में हो सकती है और किसी भी उम्र में जोखिम नहीं लिया जा सकता । हमें गंभीरता से इसके लिए युद्ध स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी। क्षय रोग के प्रति सावधान, जागरूक होने की आवश्यकता है और इसके मिथक और भ्रांतियों से दूर रहना भी बेहद जरूरी है।    

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि क्षय रोग (ट्यूबरक्लोसिस) एक गंभीर बीमारी है। यह एक संक्रामक बीमारी होने के नाते मरीज के खांसने, थूकने से अन्य लोगों में भी फ़ैल सकती है | समय पर जाँच और नियमित दवाओं का सेवन इसके उपचार के लिए बहुत जरुरी है | इलाज में लापरवाही बरती गयी तो एमडीआर या एक्सडीआर जैसी जटिल टीबी सामने आ सकती है। इसके रोकथाम के लिए समय-समय पर अभियान चलाये जाते रहे हैं। इसके साथ ही जो भी इस बीमारी से ग्रसित होगा उसका त्वरित इलाज कर क्षय रोग से मुक्ति दिलाया जायेगा।

जनपद वाराणसी में वर्ष 2017 में 4841, वर्ष 2018 में 5786, वर्ष 2019 में 8318, वर्ष 2020 में 7703 और वर्ष 2021 में अब तक 1672 मरीज नोटिफाई किए गए। इसके सापेक्ष वर्ष 2017 में 3395, वर्ष 2018 में 3920, वर्ष 2019 में 5488 और वर्ष 2020 में 3163 टीबी के मरीजों का इलाज पूरा किया गया, तो वहीं वर्ष 2017 में 856, वर्ष 2018 में 1181, वर्ष 2019 में 1599 और वर्ष 2020 में 751 मरीजों का इलाज पूरा करते हुये ठीक किया जा चुका है। वर्तमान में करीब 4000 मरीज इलाज पर हैं।  
   
टीबी के मुख्य लक्षण 
- दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खांसी का आना 
- खांसी के साथ बलगम का आना 
- बुखार, विशेषकर शाम को बढ़ने वाला व पसीना आना 
- टीबी के अन्य लक्षण 
- वजन का घटना, 
- भूख कम लगना,
- सीने में दर्द,
- बलगम के साथ खून आना 

टीबी का इलाज  
- सही समय पर जाँच और निर्धारित मात्रा में दवा की पूरी खुराक लेना 
- इलाज को बीच में छोड़ने पर दवा का असर ख़त्म हो जाता है 
- सरकारी अस्पतालों में टीबी की नि:शुल्क जाँच और इलाज होता है

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