लि‍वर की परेशानि‍यों को अनदेखा करना कैंसर को दावत, पढ़ें BHU के गैस्‍ट्रोइंट्रोलॉजी प्रोफेसर डॉ वीके दीक्षि‍त की सलाह

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वाराणसी। जून 10 को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नॉन-अल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेइटिस (NASH) दिवस मनाया जाता है और इसका लक्ष्य है आम जनता के बीच फैटी लि‍वर से संबंधि‍त बीमारि‍यों और उनकी चिकित्सकीय जानकारी का प्रसार करना। इस संबंध में काशी हि‍न्‍दू वि‍श्‍ववि‍द्यालय के इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडि‍कल साइंस के डि‍पार्टमेंट ऑफ गैस्‍ट्रोइंट्रोलॉजी के प्रोफेसर डॉक्‍टर वि‍नोद कुमार दीक्षि‍त ने वि‍स्‍तार से जानकारी दी है। 

डॉ दीक्षि‍त के अनुसार सामान्य परिस्थितियों में एक स्वस्थ्य लिवर में बेहद कम वसा होती है या बिल्कुल नहीं होती। फैटी लिवर रोग एक विस्तृत रोग है, जिसमें कई प्रकार की लिवर की बीमारियाँ शामिल होती है। फैटी लिवर रोग का मतलब है लिवर में अत्यधिक वसा का जमा होना। कम शराब पीने या नहीं पीने वाले लोगों के लिवर में वसा के जमा होने की स्थिति को नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीस या NAFLD कहते है।

प्रोफेसर डॉक्‍टर वि‍नोद कुमार दीक्षि‍त

उन्‍होंने बताया कि‍ नॉन-अल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेइटिस ( NASH )  नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीस का गंभीर रूप है जो नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीस (NAFLD) से पीड़ित 15-20 प्रतिशत लोगों को होता है। उपचार न कराये जाने पर NASH सिरॉसिस का और बाद में लिवर कैंसर का रूप ले सकता है। शुरूआती चरण में NAFLD के कोई विशिष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ लोगों को भूख कम लगने, सुस्ती और पेट में अनिश्चित दर्द जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। NAFLD सामान्यतः शांत रहता है, लेकिन चिकित्सक की सलाह न मानने वाले लागों में यह बाद में लिवर फाइब्रोसिस और लिवर खराब होने की स्थिति और लिवर कैंसर तक का रूप ले सकता है। डॉक्‍टर के पास नियमित रूप से जाने का सुझाव दिया जाता है तथा लिवर एन्जाइम्स पर विशिष्ट प्रक्रिया एवं जाँच इसकी समय पर पहचान और नियंत्रण में सहायक होती है।

डॉक्‍टर दीक्षि‍त के अनुसार सांख्यिक पद्धति के साथ किये गये एक विश्लेषण के अनुसार फैटी लिवर की कुल वैश्विक उपस्थिति लगभग 25.24 प्रतिशत पाई गयी है। सबसे ज्यादा प्रकोप मध्य पूर्व में पाया गया है, जहाँ यह 31.79  प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है, इसके बाद बारी आती है 30.45 प्रतिशत के साथ दक्षिण अमेरिका की और सबसे कम प्रकोप अफ्रीका में 13.48 प्रतिशत के साथ पाया जाता है।

लगभग हर 4 में से 1 व्यक्ति को फैटी लिवर रोग है। उनमें 4 में से 1 व्यक्ति NAFLD (25-30 प्रतिशत) से पीड़ित है। उनमें से हर 5 में से 1 व्यक्ति (20-25 प्रतिशत) को NASH हो सकता है। 70 प्रतिशत डायबिटीज पीड़ित और 80 प्रतिशत मोटापे तथा ज्यादा वजन से पीड़ित लोगों को फैटी लिवर है।
जब आपके लिवर की बात हो, तो हमेशा लिवर का ध्यान रखना सुनिश्चित करें। लिवर की कार्यप्रणाली को सामान्य करने के लिए NASH आहार महत्वपूर्ण है।

अगर आप NASH से पीड़ित हैं तो आपको खाने की कुछ चीजों से बचना चाहिए। डॉक्‍टर वि‍नोद कुमार दीक्षि‍त के अनुसार ऐसे मरीज शराब बि‍ल्‍कुल न पियें, सैचुरेटेड वसा से बचें और लाल मांस न खायें, कम वसा वाले उत्पादों के अलावा अन्य सभी डेरी उत्पादों से बचें, जहाँ तक संभव हो, सोडियम को सीमित करें, आहार में अतिरिक्त चीनी न मिलायें।

ऐसे मरीजों को कौन सी चीजें खानी चाहिए, इसके जवाब में डॉक्‍टर दीक्षि‍त बताते हैं कि‍ ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियाँ खायें, फाइबर युक्त खाने की चीजें ज्यादा खायें और जैसे होल व्हीट ब्रेड ब्राउन राइस, रावस जैसी वसायुक्त मछलियाँ लिवर के लिए बेहद लाभकारी होती हैं। अपने आहार में फलियाँ, त्वचारहित चिकन टर्की, वसारहित सूअर का मांस शामिल करें, जो मांस के उत्तम विकल्प है।

डॉक्‍टर दीक्षि‍त ने सलाह दी है कि‍ NASH की चिंता होते ही पूरी जाँच की जानी चाहिए। रक्त परीक्षण, पेट का अल्ट्रा साउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन नॉन-अल्कोहॉलिक स्टीटेहेपेटाइटिस होने का पता लगाने में बेहद सहायक हो सकते हैं।

डॉक्‍टर वि‍नोद कुमार दीक्षि‍त के अनुसार NASH के उपचार विकल्‍प में आहार के बदलावों का ताल-मेल और वनज कम करने में सहायक शारीरिक गतिविधि बढ़ाना उपचार का मुख्य हि‍स्‍सा है।

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