मेकांग क्षेत्र के साथ भारत बहुआयामी जुड़ाव चाहता है: विदेश मंत्री एस. जयशंकर

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नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को वर्चुअली 11वीं मेकांग-गंगा सहयोग (एमजीसी) बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेकांग क्षेत्र के महत्व को देखते हुए भारत उसके साथ बहुआयामी जुड़ाव चाहता है। इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर जानकारी दी। 

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कोविड-19 महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए ''सामूहिक और सहयोगात्मक'' कार्रवाई का आह्वान किया और कहा कि यह वायरस राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं है।

जयशंकर ने कहा कि ''भारत के लिए, मेकांग क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। भारत मेकांग देशों के साथ बहुआयामी जुड़ाव चाहता है। हमें सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करके अपनी साझेदारी के आधार को व्यापक बनाने की जरूरत है।'' उन्होंने कहा कि ''हमारा लक्ष्य न केवल भौतिक बल्कि डिजिटल, आर्थिक और लोगों से लोगों के बीच संपर्क सहित व्यापक अर्थ में क्षेत्र में सम्पर्क को बढ़ावा देने का है।''

कोरोना वायरस संकट का जिक्र करते हुए, जयशंकर ने कहा कि इस बारे में तरीके तलाशने की जरूरत है कि एमजीसी की साझेदारी महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपना सहयोग कैसे दे सकती है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि मेकांग गंगा सहयोग छह देशों के बीच साझा भौगोलिक, ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों की मजबूत नींव पर खड़ा है।

कंबोडियाई उप प्रधानमंत्री ने एमजीसी को सराहा
सत्र के सह-अध्यक्ष कंबोडियाई उपप्रधान मंत्री और विदेश मामलों एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री प्राक सोखोन ने मेकांग उप-क्षेत्र के विकास में एमजीसी के सक्रिय योगदान की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि पिछले दो दशकों में एमजीसी के ढांचे के तहत संचालित हुई कई परियोजनाओं और गतिविधियों ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और संस्कृति के क्षेत्र में मेकांग उप-क्षेत्र के विकास में सक्रिय भूमिका निभाई है।

मेकांग देशों में 38 परियोजनाएं पूरी कर चुका है भारत
बैठक के दौरान दोनों मंत्रियों ने एमजीसी क्विक इंपैक्ट प्रोजेक्ट्स (क्यूआईपी) के तहत भारत द्वारा की जा रही मेकांग देशों की सहायता का स्वागत किया और कहा कि 2015 में इसकी स्थापना के बाद से 38 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि 30 अन्य परियोजनाओं पर काम चल रहा है। 

प्रधानमंत्री मोदी के एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत शुरू हुआ क्यूआईपी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत 2015 में क्यूआईपी की शुरुआत की गई थी, जिसका बहुत कम समय में सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है। क्यूआईपी के तहत स्कूलों, सड़कों, स्वास्थ्य केंद्र जैसे भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण एवं उनका उन्नयन शामिल हैं। इसके साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां भी क्यूआईपी के अंतर्गत चलाई जा रही हैं।

एमजीसी की आधिकारिक वेबसाइट का हुआ उद्घाटन
बैठक के दौरान एमजीसी की आधिकारिक वेबसाइट का भी उद्घाटन किया गया। इस दौरान एमजीसी के कार्यों पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गई, जिसमें सदस्य देशों के सहयोग और उपलब्धियों के साथ-साथ समृद्ध प्राकृतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संसाधनों को प्रदर्शित किया गया।

वर्ष 2000 में हुई थी एमजीसी की पहल
बता दें कि वर्ष 2000 में सम्पर्क पर्यटन और संस्कृति सहित कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए छह देशों- भारत, कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस और वियतनाम को शामिल करते हुए एमजीसी की पहल शुरू की गई थी।

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