हिंसा के बीच त्रिपुरा निकाय चुनाव में 80 फीसदी से अधिक मतदान (लीड-1)
राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के अधिकारियों के अनुसार, राज्य भर में कोई बड़ी घटना नहीं हुई। वहीं माकपा और तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि गुरुवार को जो हिंसा, धमकी और बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं देखने को मिली, वह पहले कभी नहीं देखी गई। माकपा और तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने कहा कि 1972 में त्रिपुरा के एक पूर्ण राज्य बनने के बाद से यह सबसे बड़ी घटना है।
माकपा ने कथित बड़े पैमाने पर कदाचार और बूथ कैप्चरिंग के कारण पांच नगर निकायों में और चार अन्य स्थानीय निकायों में 10 सीटों पर चुनाव रद्द करने की मांग की है।
पुलिस मुख्यालय की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया है कि अगरतला और मेलाघर में छिटपुट घटनाओं को छोड़कर राज्य के किसी भी हिस्से से कोई बड़ी घटना की खबर नहीं है।
2,49,778 महिलाओं सहित कुल 4,93,041 मतदाता अगरतला नगर निगम (एएमसी) और अन्य नागरिक निकायों - नगर परिषदों और नगर पंचायतों में वोट डालने के पात्र थे।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हालांकि पहले ही पांच जिलों के सात नगर निकायों में बहुमत हासिल कर लिया है।
गुरुवार को सात नगर परिषदों और छह नगर पंचायतों की 51 सीटों वाली एएमसी और 171 सीटों पर मतदान हुआ।
विपक्षी दलों द्वारा चुनाव पूर्व हिंसा के आरोपों के बीच, सत्तारूढ़ भाजपा ने एएमसी की 334 सीटों में से 112 (34 प्रतिशत) और पश्चिमी त्रिपुरा के जिरानिया, रानीर बाजार, मोहनपुर, विशालगढ़ में और दक्षिणी त्रिपुरा में संतिर बाजार और दक्षिणी त्रिपुरा में उदयपुर और उत्तरी त्रिपुरा में कमालपुर सहित 19 शहरी स्थानीय निकायों में निर्विरोध जीत हासिल की।
भाजपा, माकपा नीत वाम दल, तृणमूल और कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के कुल 785 उम्मीदवार एएमसी और अन्य नगर निकायों में 222 सीटों के लिए मैदान में उतरे थे।
मतों की गिनती 28 नवंबर को होगी। माकपा और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं, उम्मीदवारों और चुनाव एजेंटों ने भाजपा द्वारा कथित कदाचार के विरोध में अलग-अलग बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए।
हालांकि बीजेपी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।
अगरतला में राज्य पार्टी प्रमुख सुबल भौमिक सहित तृणमूल के 50 से अधिक कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार किया गया।
चुनाव के बाद माकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी और वाम मोर्चा के संयोजक नारायण ने पांच नगर निकायों के चुनाव रद्द करने और अन्य नगर निकायों की 10 सीटों पर फिर से मतदान कराने की मांग की।
उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद, राज्य चुनाव आयोग और पुलिस ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
चौधरी ने मीडिया से कहा, त्रिपुरा पुलिस के महानिदेशक ने शीर्ष अदालत को यह सूचित करने के बावजूद कि त्रिपुरा में पर्याप्त बल हैं, सत्तारूढ़ दल को कदाचार करने में मदद करने के लिए केंद्रीय बलों को ठीक से तैनात नहीं किया।
माकपा नेताओं ने कहा कि वे शीर्ष अदालत को राज्य मशीनरी द्वारा उसके आदेश के उल्लंघन के बारे में अवगत कराएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने माकपा और तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देव की एक याचिका के बाद पहले त्रिपुरा पुलिस से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि गुरुवार को होने वाले नगरपालिका चुनावों के लिए किसी भी राजनीतिक दल को शांतिपूर्ण तरीके से प्रचार करने के अपने अधिकारों का प्रयोग करने से नहीं रोका जाए।
इसी तरह के निर्देश, माकपा की याचिकाओं के बाद, त्रिपुरा उच्च न्यायालय द्वारा भी दिए गए थे।
--आईएएनएस
एकेके/एएनएम
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