संविधान की मूल भावना का अपमान कर रही है सरकार : कांग्रेस

संविधान की मूल भावना का अपमान कर रही है सरकार : कांग्रेसनई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री द्वारा संविधान दिवस समारोह का बहिष्कार करने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना करने के बाद, कांग्रेस ने शुक्रवार को पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष का अपमान करके संविधान की मूल भावना का अपमान कर रही है।

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा, आज सरकार को यह याद दिलाना महत्वपूर्ण है कि केवल उस दिन को सरकारी कार्य के रूप में देखना और भारत के संविधान की भावना और सार का अनादर करना मामलों की स्थिति का एक बहुत ही खराब प्रतिबिंब है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष की कोई भूमिका नहीं बल्कि दर्शकों के बीच बैठने की है। दो साल पहले, कांग्रेस ने मांग की थी कि विपक्ष को उस दिन एक भूमिका दी जाए, लेकिन सरकार ने सलाह पर ध्यान नहीं दिया। चूंकि देश में बहुदलीय व्यवस्था है, इसलिए समारोह में सभी जनप्रतिनिधियों को उचित महत्व दिया जाना चाहिए था।

शर्मा ने कहा, हमने इस आयोजन को केवल एक सरकारी समारोह में सीमित करने का विरोध किया था और उम्मीद की थी कि भविष्य में सरकार संसदीय लोकतंत्र का सम्मान करेगी।

उन्होंने कहा, हमारा आज का विरोध हमारे देश को यह याद दिलाने के लिए मौलिक सिद्धांतों पर आधारित है कि संविधान को कमजोर किया जा रहा है और इसका सम्मान नहीं किया जा रहा है। बिना किसी संसदीय जांच के कानून पारित कर संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लोकतंत्र को मजबूत किया है, इसलिए 2014 में प्रधानमंत्री चुने गए, इसलिए मोदी की विपक्ष की आलोचना अनुचित है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, जो पार्टियां अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो चुकी हैं, वे लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकती हैं।

मोदी संसद के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस समारोह में बोल रहे थे, जिसका कांग्रेस समेत 14 विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया।

देश एक संकट की ओर बढ़ रहा है, इस ओर इशारा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पारिवारिक पार्टियों का अर्थ ये नहीं है कि एक परिवार से ज्यादा लोग राजनीति में नहीं आएं, पारिवारिक पार्टियों का मतलब है कि पार्टी की कमान पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार के लोगों के हाथ में रहने से है। इसमें बदलाव की जरूरत है, अन्यथा यह लोकतंत्र के लिए संकट पैदा करेगा।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

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