महाराष्ट्र विधानसभा से 1 साल के लिए निलंबित 12 भाजपा विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

महाराष्ट्र विधानसभा से 1 साल के लिए निलंबित 12 भाजपा विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायानई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

भाजपा के इन विधायकों को कथित तौर पर पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ दुर्व्यवहार के मामले में पांच जुलाई को राज्य विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित किया गया था।

5 जुलाई को पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किए जाने के मामले में भाजपा के जिन विधायकों को विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित किया गया है, उनमें गिरीश महाजन, जयकुमार रावल, आशीष शेलार, अतुल भटकलकर, योगेश सागर, पराग अलवानी, राम सतपुते, संजय कुटे, अभिमन्यु पवार, नारायण कुचे, शिरीष पिंपल और कीर्ति कुमार बगड़िया शामिल हैं।

इन विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने पेश किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।

निलंबन की कार्रवाई को प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए, याचिका में तर्क दिया गया कि सभी 12 अलग-अलग जगहों पर थे और उनमें से कुछ तो कक्ष में भी नहीं थे। याचिका में कहा गया है कि उनमें से कुछ सदन के वेल में नहीं थे और वे केवल दर्शक के तौर पर थे। विधायकों ने यह भी तर्क दिया कि सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच गरमागरम आदान-प्रदान लोकतंत्र का सार है।

विधायकों ने तर्क दिया है कि पीठासीन अधिकारी को उन्हें अपना स्पष्टीकरण देने का अवसर देना चाहिए था और एक साल के लिए निलंबन अत्यधिक अनुपातहीन है।

विधानसभा में अराजकता तब शुरू हुई, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबुल राज्य में स्थानीय निकायों में समुदाय को राजनीतिक आरक्षण प्रदान करने के लिए केंद्र द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पर अनुभवजन्य डेटा जारी करने के लिए विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश करने के लिए खड़े हुए।

एक साल के लिए निलंबित किए गए विधायकों में कम से कम तीन पूर्व मंत्री शामिल हैं। निलंबन के बाद, विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया।

फडणवीस ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार ने 15 महीने तक सुप्रीम कोर्ट के निदेशरें का पालन नहीं किया, जिसके कारण ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण खत्म हो गया।

विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने आरोप को झूठा करार देते हुए कहा था कि घटना के बारे में जाधव का विवरण एकतरफा था। उन्होंने कहा कि यह एक झूठा आरोप है और विपक्ष के सदस्यों की संख्या कम करने का प्रयास है, क्योंकि हमने स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे पर सरकार के झूठ को उजागर किया है।

--आईएएनएस

एकेके/एएनएम

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story