अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए खुला डीयू, बाकी छात्रों ने कहा खोले जाएं हमारे भी कॉलेज

अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए खुला डीयू, बाकी छात्रों ने कहा खोले जाएं हमारे भी कॉलेजदिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय चरणबद्ध तरीके से खुलना शुरू हो गया है। 15 सितंबर से छात्रों को विश्वविद्यालय में आने और क्लास लेने की अनुमति दी गई है। हालांकि यह सुविधा फिलहाल केवल साइंस स्ट्रीम के फाइनल ईयर के छात्रों के लिए है। विश्वविद्यालय के मुताबिक साइंस स्ट्रीम के छात्रों को प्रैक्टिकल क्लास की आवश्यकता है। शेष सभी छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं जारी रहेंगी। इस फैसले पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कई छात्रों ने अपनी नाराजगी जताई है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने बताया कि लैबोरेट्री, प्रैक्टिकल एवं इसी प्रकार की गतिविधियों के लिए ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे छात्रों हेतु विश्वविद्यालय खोला जा रहा है। फिलहाल केवल अंतिम वर्ष के छात्रों को ही कैंपस में यह ऑफलाइन सुविधाएं दी जा रही हैं।

अंतिम वर्ष के छात्र भी 50 फीसदी क्षमता के साथ ही क्लासरूम, लेबोरेटरी, हॉल आदि में रोटेशन के आधार पर आ सकते हैं। अभी केवल सीमित आधार पर ही प्रैक्टिकल एवं अन्य गतिविधियां शुरू की गई हैं।

डीयू और जेएनयू के छात्र विश्वविद्यालयों के केवल आंशिक रूप से खुलने से नाखुश हैं। डीयू में सेकंड ईयर के छात्र वंश शर्मा ने कहा कि अभी भी विश्वविद्यालय के कुल छात्रों में से केवल 10 प्रतिशत छात्र ही फिजिकल कक्षाएं प्राप्त कर पा रहे हैं। ऐसा इसलिए है चूंकि विश्वविद्यालय केवल साइंस स्ट्रीम के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए खोला गया है।

दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा दीपिका ने कहा कि वह उन छात्रों के लिए खुश है जिनकी फिजिकल कक्षाएं शुरू हो गई हैं। दीपिका ने कहा हम सभी छात्र कैंपस में वापस लौटना चाहते हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय के कुलसचिव तथा कार्यकारी परिषद से भी मांग की गई है। छात्र चाहते हैं कि अब कैंपस छात्रों के लिए खोल दिया जाए। इतना ही नहीं छात्रवासों को भी तुरंत प्रभाव से खोला जाए।

जेएनयू में छात्र संगठन आईसा भी सभी छात्रों के लिए विश्वविद्यालय खोले जाने की मांग कर रही है। आईसा का कहना है कि सभी छात्रों को हॉस्टल की सुविधा भी तुरंत बहाल की जाए।

वहीं डीयू के कुलपति पीसी जोशी ने कह चुके हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय में न केवल दिल्ली बल्कि देश भर से और विदेशों से भी छात्र आते हैं। हमें इस पर विचार करना होगा कि उन्हें कैसे शामिल किया जाएगा।

दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस विषय पर एक बैठक बुलाई थी। कुलपति ने कहा है कि हम जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहते। इससे छात्रों पर विपरीत असर पड़ सकता है।

यह केवल महत्वपूर्ण सेमेस्टर को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। छात्रों की फिजिकल उपस्थिति अनिवार्य न होकर वैकल्पिक रखी गई है। कैंपर कैंपस में आने या न आने का फैसला छात्रों पर छोड़ा गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक इस दौरान रजिस्टर में छात्रों की अनिवार्य तौर उपस्थिति भी दर्ज नहीं की जाएगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक फाइनल ईयर के छात्रों को शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ प्लेसमेंट संबंधी प्रयोजनों के लिए भी कैंपस में आने की अनुमति दी गई है। हालांकि इसके लिए संस्थान के प्रभारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी 1 दिन में छात्रों की कुल क्षमता के मुकाबले 50 फीसदी से अधिक छात्र कक्षा या कैंपस में एकत्र न हो।

वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के जिन कॉलेजों में सुबह और शाम की दो अलग-अलग शिफ्ट है वहां के प्रिंसिपल को समय अंतराल की व्यवस्था करनी है। विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक कैंपस में छात्रों की भीड़ नहीं होनी चाहिए। सैनिटाइजेशन के साथ-साथ समय अंतराल भी इस प्रकार रखा जाना चाहिए, जिससे सुबह और शाम की शिफ्ट के दौरान सही अंतर बना रहे।

दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक विश्वविद्यालय कैंपस में आने वाले सभी शिक्षक एवं गैर शिक्षक कर्मचारी यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें कोरोना से बचाव के लिए दोनों टीके दिए जा चुके हैं। इसके साथ ही कैंपस में आने वाले छात्रों के लिए भी कम से कम एक टीका लगा होना आवश्यक है।

--आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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