महाकुंभ में काशी के शक्तिधाम की अनोखी पहल, कुंभ में भारतीय-इज़रायली आध्यात्मिक संगीत का संगम, "लव यूनाइट्स" के जरिए दिया प्रेम और एकता का संदेश

वैश्विक चेतना को बढ़ाने के लिए एक अभूतपूर्व प्रयास के रूप में प्रस्तुत यह संगीत कार्यक्रम दिव्य प्रेम एकता और चेतना का उत्सव रहा। इस कार्यक्रम ने विभिन्न संस्कृतियों, लोगों और परंपराओं के बीच एक पुल की तरह काम किया और सभी प्रतिभागियों को मानवीय एकता का अनुभव करने का अवसर दिया। पवित्र संगीत, मंत्रों और प्रार्थनाओं के माध्यम से यह शाम कुंभ मेला की पवित्र भूमि से एक गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार केंद्र बनी। इंटरनेट के माध्यम से यह पवित्र कार्यक्रम पूरी दुनिया में पहुंचा। जगद्गुरु साईं मां ने इस अवसर पर कहा कि यह कार्यक्रम एक नए युग की शुरुआत का आह्वान करेगा, जिसमें प्रेम सत्य और करुणा की भावना को बढ़ावा दिया जाएगा।
क्या बोले इजराइली संगीतकार?
इज़राइल के प्रसिद्ध संगीतकार और कलाकार यारोन पीर (Yaron Pe’er) ने इस कार्यक्रम के बाद कहा, "लव यूनाइट एक संगीतकारों का समूह है जो हिब्रू उत्पत्ति और भारतीय प्राचीन संस्कृति की कला और ज्ञान को एक साथ लाता है, यह दिखाते हुए कि नाम चाहे कितने भी हों, भगवान एक ही हैं।"
नारायण ज्योति (Ron Narayan Jyoti Paz) ने कहा, "संगीतकार, जो इज़राइल और भारत से हैं, एक-दूसरे को प्रेरित करते हैं कि वे संगीत के उस ध्वनि सृजन को खोजें जो हमें एकजुट करता है।"
इज़राइल की चेलिस्ट, गायिका और संगीतकार माया बैटनर (Maya Baitner) ने कहा, "यह आयोजन मिडिल ईस्ट में शांति के लिए एक प्रार्थना के रूप में कार्य करता है और हमारी भारतीय संबंधों के समर्थन के लिए दिल से आभार व्यक्त करता है।"
विदेशी शिष्यों के साथ कल्पवास कर रही हैं जगद्गुरु सत्य साई मां
जगद्गुरु सत्य साई मां लक्ष्मी देवी अपने सभी विदेशी महामंडलेश्वर एवं सैकड़ों की संख्या में विदेशी शिष्य शिष्याओं के साथ कल्पवास कर रही हैं। यह कुंभ क्षेत्र के सेक्टर-17 में स्थित शक्तिधाम शिविर निर्मोही अनी अखाड़ा से सम्बद्ध है। शिविर में यज्ञ एवं अनुष्ठान के अलावा धर्मार्थ कार्य निरंतर चल रहे हैं। शक्तिधाम शिविर में पिछले तीन सप्ताह में एक दर्जन से अधिक देशों के 200 से अधिक विदेशी शिष्य शिष्याओं ने जगद्गुरु साईं मां लक्ष्मी देवी से दीक्षा ली है। दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों से आने वाले अनुयायियों और शिष्यों के लिए कुम्भ मेला एक तपस्या का विषय है।
गौरतलब है कि मॉरीशस के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मी जगद्गुरु साई मां से प्रेरित होकर वर्ष 2019 प्रयाग अर्धकुंभ में 9 विदेशी मूल के शिष्यों ने संत परंपरा को आत्मसात करते हुए महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त की थी जिनमें तीन महिला संत भी शामिल हैं। साई मां के भक्तों में दुनिया भर के 12 देशों से अधिक के निवासी हैं जो अब हिन्दू धर्म स्वीकार कर चुके हैं, जापान,अमेरिका फ़्रांस समेत कई अन्य यूरोपीय देशों में इनके भक्तों की भारी संख्या है। भारत में उनका मुख्यालय शक्तिधाम आश्रम वाराणसी के हरीशचंद्र घाट पर स्थित है।