गणेश चतुर्थी पर बना सकते हैं इन मंदिरों के दर्शन की योजना, होगी हर मनोकामना पूरी
गणेश चतुर्थी से देश भर में गणेश महोत्सव का आगाज हो जाता है। ऐसे में जहां हर सड़क और गली में बप्पा के नाम का शोर सुनाई देता है। कई लोग घरों में भी गणपति की स्थापना करते हैं। गणेश चतुर्थी का व्रत हर साल भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता ह। यह मूल रूप से चौथ व्रत है। लेकिन गणेशजी की पूजा इस दिन होने की वजह से इसे गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस साल ये तिथि 7 सितंबर को पड़ रही है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग ढोल नगाड़ों के साथ बड़ी ही धूमधाम से बप्पा को अपने घर लाते हैं और उनकी स्थापना करते हैं। गणेश चतुर्थी की धूम पूरे देश में दिखाई देती है। इस मौके पर कई गणेश मंदिरों के दर्शन के लिए भी जा सकते हैं। अगर गणेशोत्सव के मौके पर कहीं सफर की योजना बना रहे हैं तो देश के सबसे बड़े गणपति मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं। यहां आपको प्राचीन और प्रसिद्ध गणेश मंदिरों के बारे में बताया जा रहा है।
सिद्धि विनायक मंदिर
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में स्थित सिद्धि विनायक मंदिर को देश के सबसे मशहूर मंदिरों में गिना जाता है। इस मंदिर को 1801 में बनवाया गया था। ऐसे में मुंबई की सैर के दौरान आप सिद्धि विनायक मंदिर के दर्शन करके बप्पा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
त्रिनेत्र गणेशजी, राजस्थान
ये मंदिर राजस्थान की चर्चित टूरिस्ट डेस्टिनेशन रणथम्बोर नेशनल पार्क के नजदीक मौजूद है। इस मंदिर से एक खासियत जुड़ी हुई है। यहां दर्शन के लिए आने से पहले लोग गणेश जी को चिट्ठियां भेजते हैं। इन चिट्ठियों को खुद डाकिया पहुंचाता है और मनोकामना पूर्ण होने पर लोग यहां आकर पूजा-पाठ करते हैं। मंदिर का इतिहास करीब 800 साल पुराना है और ये पिंक सिटी जयपुर से कुछ किलोमीटर ही दूर है। दिल्ली से आप कार से यहां पहुंच सकते हैं। ट्रेन से जाने वाले जयपुर पहुंचकर यहां दूसरे साधन से पहुंच सकते हैं।
खजराना गणेश मंदिर, इंदौर
गणेश उत्सव के दौरान मध्य प्रदेश में स्थित गणपति मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। यहां इंदौर के खजराना में गणेश जी का मंदिर है। यह स्वयंभू मंदिर है। इसे देश के सबसे धनी गणेश मंदिरों में भी गिना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में भक्त मन्नत मांगते हैं और मुराद पूरी होने पर गणेश प्रतिमा की पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं। यहां गणेश प्रतिमा तीन फीट ऊंची है।
चिंतामण गणपति, उज्जैन
उज्जैन के सबसे प्राचीन मंदिर में से एक है चिंतामण गणपति। चिंतामन गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश के तीन रूप एक साथ विराजमान है, जो चितांमण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के रूप में जाने जाते है। श्री चिंताहरण गणेश जी की ऐसी अद्भूत और अलोकिक प्रतिमा देश में शायद ही कहीं होगी। चिंतामणी गणेश चिंताओं को दूर करते हैं, इच्छामणी गणेश इच्छाओं को पूर्ण करते हैं और सिद्धिविनायक रिद्धि-सिद्धि देते हैं। देश के कोने-कोने से भक्त यहाँ दर्शन करने आते है। यहाँ पर भक्त, गणेश जी के दर्शन कर मंदिर के पीछे उल्टा स्वास्तिक बनाकर मनोकामना मांगते है और जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वह पुनः दर्शन करने आते है और मंदिर के पीछे सीधा स्वास्तिक बनाते है।
गणपतिपुले मंदिर, रत्नागिरी
महाराष्ट्र के कोंकण में रत्नागिरी जिले में स्थित भगवान गणेश का ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि ये यहां स्थापित बप्पा की प्राकृतिक रूप से स्थापित हुई है। ये मूर्ति लगभग 400 साल पुरानी है। ऐसे में इस मंदिर में बप्पा से दर्शन के लिए लोग सालभर आते हैं। आप भी चाहें तो इस गणेशोत्सव में बप्पा के दर्शन की योजना बनाएं।
गणेश टोक मंदिर
सिक्किम की राजधानी गंगटोक में स्थित गणेश टोक मंदिर भी काफी मशहूर है। गणेश टोक मंदिर के आस-पास का नजारा बेहद खूबसूरत है। वहीं मंदिर के गर्भगृह में गणपति की विशाल प्रतिमा मौजूद है। जिसके दर्शन करना अपने आप में एक सुखद अनुभव साबित होता है।
गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर
इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा एक इंसान के रूप में मौजूद है। राजस्थान के जयपुर की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में भगवान गणेश की सूंड वाली प्रतिमा नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना राजस्थान के एक राजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी। दिल्ली के सराय रोहिल्ला स्टेशन, नई दिल्ली या पुरानी दिल्ली से जयपुर की ट्रेन आसानी से मिल जाएगी। जयपुर से कई साधन सवाई माधोपुर के लिए जाते हैं।
कनॉट प्लेस का गणेश मंदिर
दिल्ली में मशहूर कनॉट प्लेस पर अक्सर लोग घूमने-फिरने के लिए जाते हैं। लेकिन यहां एक गणेश मंदिर भी है जिसमें दक्षिण भारतीय मूल के पुजारी गणेश जी की पूजा करते हैं। इस मंदिर में दूसरे देवताओं के भी छोटे-छोटे मंदिर हैं। ऐसे में यदि आप गणेश मंदिर के दर्शन करने आते हैं तो उसके साथ-साथ कनॉट प्लेस का भी लुफ्त उठा सकते हैं।
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