रहस्यों से भरी हैं गोलकोंडा किले की हैरान कर देने वाली ये बातें
गोलकोंडा किला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पास स्थित है। किला 1143 का है, जब इसे कुतुब शाही राजवंश द्वारा बनवाया गया था। ऐतिहासिक गोलकोंडा किले का नाम एक तेलुगु शब्द 'गोल्ला कोंडा' से लिया गया है जिसका अर्थ है चरवाहा। प्रारंभ में यह एक मिट्टी का किला था लेकिन बाद में कुतुब शाही राजवंश के दौरान ग्रेनाइट में बदल दिया गया। गोलकोंडा किला हैदराबाद के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह किला देश की सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में से एक हुसैन सागर झील से लगभग नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इस क्षेत्र के सबसे संरक्षित स्मारकों में से एक है।इस किले के बारे में और भी कई दिलचस्प बातें हैं जो हमें और आपको नहीं मालूम होंगी। आईये इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्यों को जानें।
फोर्ट के सीक्रेट टनल्स
ऐसा माना जाता है कि इस किले में कुछ गुप्त सुरंग हैं, जो दरबार हॉल से शुरू होती है और हिल के बॉटम तक एक महल तक जाती है। कहा जाता है कि यह बचने के मार्ग के रूप में बनाई गई थी, लेकिन इसे कोई ढूंढ नहीं पाया है।
इतिहास
इस किले के निर्माण से एक रोचक इतिहास जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि एक दिन एक चरवाहे लड़के को पहाड़ी पर एक मूर्ति मिली। जब उस मूर्ति की सूचना तत्कालीन शासक काकतिया राजा को मिली तो उन्होंने उसे पवित्र स्थान मानकर उसके चारों ओर मिट्टी का एक किला बनवा दिया, जिसे आज गोलकोंडा किला के नाम से जाना जाता है।
भारत के दक्षिण में है ये किला
भारत के दक्षिण में बना यह किला 1518-1687 के बीच गोलकुंडा के कुतब शाही साम्राज्य की मध्यकालीन सल्तनत की राजधानी था। गोलकुंडा किला हैदराबाद के दक्षिण में 11 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। यह भारत के तेलंगना राज्य में आता है। यह प्राचीन और प्रसिद्ध किला है। पूरी दुनिया में ये किला इसलिये भी प्रसिद्ध था क्योकि यहां से कई बेशकीमती चीजे मिली थी जैसे कोहिनूर हीरा, होप डायमंड, नसाक डायमंड और नूर-अल-एन आदि। हालाकि अब ये दक्षिणी भारत में, हैदराबाद नगर के पास एक दुर्ग तथा ध्वस्त नगर के रूप में ही शेष है।
अमेरिका में तीन जगह के नाम इससे प्रेरित
संयुक्त राज अमेरिका में गोलकोंडा नाम से ही तीन जगहों के नाम पड़े हैं- एरिजोना, इलिनोइस और नेवादा में, एरिजोना और नेवादा के माइनिंग टाउन को गोलकोंडा टाउन के नाम से जाना जाता है। हालांकि अब एरिजोना और नेवादा के टाउन घोस्ट टाउन के नाम से जाने जाते हैं। वहीं हैदराबाद की तरह दिखने वाले इलिनोइस में सराहविले टाउन को 1817 में गोलकोंडा नाम दिया गया था।
दरबार हॉल
इस किले की शानदार भव्यता का अंदाजा आप यहां का दरबार हॉल देख कर ही लगा सकते हैं, जो हैदराबाद और सिकंदराबाद के दोनों शहरों को ध्यान में रखते हुए पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया है। यहां पहुंचने के लिए एक हजार सीढियां चढ़नी पड़ती हैं।
सबसे ऊपर है महाकाली का मंदिर
गोलकोंडा के सबसे ऊपर श्री जगदम्बा महा मंदिर स्थित है। राजा - इब्राहिम कुली कुतुब शाह अपनी प्रजा के बीच इतना लोकप्रिय था कि उसे हिंदुओं द्वारा मलकाभिराम कहा जाता था। यहां बोनालू उत्सव मनाने के बाद पूरे शहर में इस उत्सव को मनाया जाता है।
रहस्य
इस किले का सबसे बड़ा रहस्य ये है कि इसे इस तरह बनाया गया है कि जब कोई किले के तल पर ताली बजाता है तो उसकी आवाज बाला हिस्सार गेट से गूंजते हुए पूरे किले में सुनाई देती है। इस जगह को 'तालिया मंडप' या आधुनिक ध्वनि अलार्म भी कहा जाता है।
400 साल पुराना पेड़
इस किले के अंदर ही एक बहुत पुराना अफ्रीकी बाओबाब पेड़ है, जो 400 साल पुराना है। कहा जाता है कि इस पेड़ को कुछ अरेबियन ट्रेडर्स ने सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह को तोहफे में दिया था। स्थानीय लोग इसे हथियां का झाड़ कहते हैं।
रहस्यमय सुरंग
ऐसा माना जाता है कि किले में एक रहस्यमय सुरंग भी है, जो किले के सबसे निचले भाग से होकर किले के बाहर निकलती है। कहा जाता है कि इस सुरंग को आपातकालीन स्थिति में शाही परिवार के लोगों को सुरक्षित बाहर पहुंचाने के लिए बनाई गई थी, लेकिन अब तक इस सुरंग का कुछ पता नहीं चल पाया है।
फेमस लाइट एंड साउंड शो
गोलकोंडा फोर्ट हैदराबाद शहर के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। यहां होने वाला लाइट एंड साउंड शो तीन-तीन भाषाओं में होता है- अंग्रेजी, हिंदी और तेलुगू। इस शो में हैदराबाद के इतिहास के बारे में जानने को मिलेगा। गोलकोंडा फोर्ट सुबह 9 बजे से शाम के 5।30 बजे तक खुला रहता है। फोर्ट के इस साउंड एंड लाइट शो का प्रवेश शुल्क 130 रुपये है।
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