ग्वालियर की भव्यता को दर्शाते हैं ये दर्शनीय स्थल, जरूर करें इनका दीदार
भारत का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश को पर्यटन के लिहाज से एक समृद्ध जगह के तौर पर देखा जाता हैं। आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं ग्वालियर की जो मध्यप्रदेश का एक बड़ा शहर हैं और पर्यटन के लिहाज से बेहतरीन जगह के तौर पर देखा जाता हैं। ग्वालियर शहर का निर्माण राजा सूरजसेन द्वारा किया गया था। इस ऐतिहासिक ग्वालियर शहर की सुन्दरता, आकर्षित कर दने वाली स्मारकों, महलो और मंदिरों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम हैं। आज इस कड़ी में हम आपको ग्वालियर की कुछ दर्शनीय स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो समृद्ध विरासत में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनते हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...
ग्वालियर का किला
ग्वालियर का किला पूरे दक्षिण भारत का एक अभेद किला है। इस किले का निर्माण दो भागो में किया गया था। जोकि दो अलग अलग समय अवधि के दौरान हुआ था। ग्वालियर किले की सुन्दरता और विशालता का वर्णन शब्दों में करना कठिन हैं। इस किले में मन मंदिर, गुजरी महल, पानी के टैंक, कर्ण, जहागीर आदि है। ग्वालियर आने वाले पर्यटकों को एक बार इस किले में जरूर घूमने जाना चाहिए। राजा मान सिंह को किले से बेहद प्रेम था उन्होंने कालांतर में हुए आक्रमणों से किले पर पहुंची क्षति को ठीक करवा दिया था साथ ही किले को सुसज्जित बनाने के लिए कई नए निर्माण कार्य भी करवाए थे।
तानसेन का मकबरा
ग्वालियर में देखने लायक जगहों में तानसेन का मकबरा भी शामिल हैं। यह मकबरा भारत के प्रसिद्ध संगीतकार और सम्राट अकबर के दरबार के प्रमुख गायक तानसेन का हैं जोकि अकबर के दरबार के नो रत्नों में से एक हैं। माना जाता है कि ग्वालियर का यह प्रसिद्ध संगीतकार अपने संगीत के जादू से बारिश करा देता था और जानवरों को अपने संगीत से मन्त्र मुग्ध कर देता था।
सास बहू मंदिर
ग्वालियर में घूमने के लिए सबसे अच्छे आकर्षणों में से एक जुड़वां मंदिर है जिसे सास बहू मंदिर के नाम से जाना जाता है, जिसे अक्सर सहस्त्रबाहु मंदिर या हरिसदानम मंदिर के रूप में जाना जाता है। इसे 11वीं सदी में बनाया गया था। विष्णु को हिंदू धर्म में "सहस्त्रबाहु" के रूप में जाना जाता है। 2 मंदिरों की दीवारें, जो एक दूसरे के बगल में हैं, प्रत्येक विस्तृत नक्काशी और मूर्तियों से ढकी हुई हैं।
तेली का मंदिर
गोपांचाल पर्वत पर स्थित यह एक विशाल स्मारक है। इस स्मारक को तेली का मंदिर के नाम से जाना जाता है।यह मंदिर 1000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण तेली संप्रदाय के लोगों द्वारा करवाया गया था। यही कारण है कि इस मंदिर को तेली का मंदिर नाम से जाना जाता है। मंदिर की खूबसूरती की बात करें तो यह वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस मंदिर का निर्माण करवाने वाले तेली संप्रदाय का संबंध तेलंगाना से था। तेलंगाना से संबंध होने के कारण इस मंदिर में भारतीय दक्षिण भारतीय प्रभाव देखने को मिल जाता है।
चिड़ियाघर
ग्वालियर शहर समृद्ध विरासत वाला शहर एक आकर्षित और रोमांचक गतिविधियों से भी भरा हुआ है। सन 1922 में शाही परिवार के मधाओ राव सिंधिया द्वारा स्थापित किया गया गांधी चिड़ियाघर यहां का एक खूबसूरत जू हैं। यह स्थान वास्तव में फूल बाग के नाम से भी जाना जाता हैं। इस बाग में कई प्रजातियों के सांभर, चित्तीदार हिरण, काले हिरन, बाइसन, लकड़ बग्घा और सफेद बाघ देखने को मिल जाते है।
सिंधिया संग्रहालय
इसे 1964 में बनाया गया था। यह ग्वालियर के प्रसिद्ध जय विलास पैलेस के अंदर स्थित है। ग्वालियर में सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक सिंधिया संग्रहालय है, जो सिंधिया परिवार के अंतिम शासक और ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया का सम्मान करता है। संग्रहालय का निर्माण यूरोपीय शैली में किया गया था और यह एक आश्चर्यजनक महल है। डाइनिंग एरिया में दिखाए गए कांच के फर्नीचर और मॉडल ट्रेन संग्रहालय के मुख्य आकर्षण हैं। सिंधिया संग्रहालय इनके अलावा उस काल की पांडुलिपियों, मूर्तियों, सिक्कों, चित्रों और हथियारों को भी प्रदर्शित करता है।
सूर्य मंदिर
ग्वालियर के दर्शनीय स्थलों में शामिल यहां का सूर्य मंदिर भगवान सूर्य देव को समर्पित हैं। सूर्य मंदिर ग्वालियर के सबसे शानदार मंदिरों में से एक है और साथ ही साथ इस मंदिर में शानदार वास्तुशिल्प है जो आश्चर्यचकित कर देती हैं। सूर्य मंदिर का निर्माण वर्ष 1988 के दौरान एक प्रसिद्ध उद्योगपति जीडी बिड़ला के द्वारा करबाया गया था। सूर्य मंदिर में आने वाले पर्यटकों की लम्बी कतार वर्ष भर लगी रहती हैं।
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