भगवान कुबेर का इकलौता मंदिर जहां कभी नहीं लगता ताला, धनतेरस पर होती है खास पूजा

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धनतेरस का त्योहार दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। ये हर साल दीवाली से पहले मनाया जाता है। इस साल धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है। इस दिन लोग आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं।  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन चांदी-सोने की चीजें, बर्तन और झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर देव की भी पूजा का विधान है। दो दिनों बाद धनतेरस का पर्व है। ऐसे मौके पर हम इस लेख में भगवान कुबेर के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानेंगे, जहां के गर्भगृह में कभी भी ताला नहीं लगाया जाता है, तो आइए इस मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं-

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शिव परिवार के साथ विराजमान कुबेर देव
दरअसल, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के मंदसौर के खिलचीपुर के कुबेर मंदिर की। इस मंदिर में कुबेर देव भगवान शिव परिवार के साथ एक ही मंदिर में विराजमान हैं। भगवान कुबेर का ये इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां पर उनकी शिव परिवार के साथ पूजा की जाती है।धनतेरस के दिन पर इस मंदिर में सुबह 4 बजे तंत्र पूजा का विधान है। इसके बाद भक्त कुबेर देव के दर्शन के लिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पर पूजा करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

गर्भगृह में नहीं लगा कभी ताला
इतिहासकारों के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है कि यहां पर स्थापित मूर्तियां 1300 साल पुरानी है और ये खिलजी साम्राज्य से पहले की बताई जाती है। वहीं, धाम के पुजारियों का कहना है कि इस मंदिर के गर्भगृह में आज तक ताला नहीं लगाया गया। पहले तो दरवाजा तक नहीं था। इस मंदिर में भगवान कुबेर की चतुर्भुज मूर्ति है। उनके एक हाथ में धन की पोटली, दूसरे में शस्त्र और बाकी में एक प्याला है। साथ ही कुबेर जी नेवले पर सवार हैं। 

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पूरी होती है मनचाही इच्छा
इतिहासकारों का ये भी मानना है कि इस मंदिर का निर्माण मराठाकालीन युग में किया गया था। वहीं, इस मंदिर में विराजमान भगवान कुबेर की मूर्ति उत्तर गुप्त काल की 7वीं शताब्दी में बनाई गई थी। ऐसा कहा जाता है कि कुबेर देव के इस धाम में एक बार दर्शन और पूजन करने से धन संबंधी सारी मुश्किलें दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही मनचाही इच्छा पूरी होती है। ऐसे में अगर आप कुबेर देव की कृपा पाना चाहते हैं तो इस धनतेरस पर यहां दर्शन के लिए जा सकते हैं। 


 

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