बनारस का ये कुआं करता है मृत्यु की भविष्यवाणी

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भारत रहस्यों और आध्यात्मिक चमत्कारों की भूमि है, जहां हर गली और मंदिर अपने भीतर कोई न कोई अनकही कहानी समेटे हुए है। ऐसे ही रहस्य से जुड़ी एक रहस्यमयी जगह वाराणसी में स्थित है—चंद्रकूप कुआं, जो न केवल लोगों की आस्था का केंद्र है, बल्कि "मौत की भविष्यवाणी" करने वाले कुएं के नाम से भी जाना जाता है। यह चमत्कारी कुआं सिद्धेश्वरी मंदिर के परिसर में स्थित है और मान्यता है कि इसमें झांकने वाला व्यक्ति अपनी मृत्यु से जुड़ा संकेत पा सकता है। इस रहस्य को जानने और अनुभव करने के लिए देशभर से श्रद्धालु यहां खिंचे चले आते हैं।

Mystery : इस रहस्यमयी कुएं में परछाई नहीं दिखने पर 6 महीने में हो जाती है  मौत, जानें क्या है इसका रहस्य | Nation One - Uttarakhand news |  Uttarpradesh news |

क्या वास्तव में यह कुआं मृत्यु का संदेश देता है?

चंद्रकूप कुएं के साथ जुड़ी सबसे हैरान करने वाली मान्यता यह है कि अगर कोई व्यक्ति इसमें झांकता है और पानी में उसकी प्रतिबिंब (परछाई) स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, तो उसे किसी प्रकार का संकट नहीं होता। लेकिन अगर परछाई नज़र नहीं आती, तो इसे अपशकुन माना जाता है—यह संकेत हो सकता है कि अगले छह महीनों में उस व्यक्ति की मृत्यु संभावित है। इसी मान्यता के चलते कई लोग इस कुएं के पास आकर भी उसमें झांकने से डरते हैं, जबकि कुछ लोग साहस के साथ झांककर अपने भविष्य का सामना करना चुनते हैं।

पौराणिकता में रचा-बसा है चंद्रकूप

हिंदू शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, चंद्रदेव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें यह कुआं प्रदान किया, जिसे दिव्य शक्तियों का वरदान प्राप्त हुआ। कहा जाता है कि शिव के आशीर्वाद के कारण यह कुआं अलौकिक और रहस्यमयी शक्तियों से युक्त हो गया। यह सिर्फ कोई आम कुआं नहीं है—इसका जल इतना पवित्र माना जाता है कि केवल देखने से ही व्यक्ति का मन, तन और आत्मा शुद्ध हो जाते हैं। विशेष रूप से पूर्णिमा और अमावस्या के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है, जब चंद्रेश्वर लिंग की विशेष पूजा होती है।

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क्या बनाता है इस स्थान को इतना विशेष?

सिद्धेश्वरी मंदिर में स्थित चंद्रकूप कुआं केवल एक आध्यात्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक अद्भुत रहस्य और विश्वास का संगम है। यहां आने वाला हर व्यक्ति उस दिव्यता को महसूस करता है जिसे शब्दों में बयां करना कठिन है। यहां के वातावरण में एक ऐसी ऊर्जा है जो आत्मा को भीतर तक छू जाती है।

चंद्रकूप कुएं तक कैसे पहुंचे?

यदि आप इस रहस्यमयी अनुभव को स्वयं जीना चाहते हैं, तो आपको पहले वाराणसी आना होगा। सिद्धेश्वरी मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित है।

- वाराणसी स्टेशन या हवाई अड्डे से टैक्सी, ऑटो या ई-रिक्शा के माध्यम से आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।

- मंदिर का प्रवेश द्वार गेट नंबर 4 (विश्वनाथ रोड) के पास है।

- वहां से राजा कटरा चौक की दिशा में बढ़ें और चौक पार करने के बाद दाईं ओर थोड़ा आगे बढ़ने पर बाईं ओर मंदिर का प्रवेश द्वार दिख जाएगा।

- मंदिर के भीतर ही स्थित है चंद्रकूप कुआं, जो सादगी में छिपा एक गहरा रहस्य है।

विश्वास, भय और अध्यात्म का अद्वितीय संगम

चंद्रकूप कुआं महज एक ऐतिहासिक कुआं नहीं, बल्कि मानव चेतना, विश्वास और मृत्यु जैसे गंभीर विषयों पर सोचने को मजबूर कर देने वाली एक जगह है। यह स्थान दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति में किस तरह अध्यात्म और रहस्य साथ-साथ चलते हैं।

अगर आप भी आध्यात्मिक अनुभवों में रुचि रखते हैं या अनसुलझे रहस्यों को समझने का साहस रखते हैं, तो चंद्रकूप कुएं की यात्रा अवश्य करें। कौन जानता—शायद यह यात्रा आपके जीवन की सोच बदल दे।

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