मातारानी के इन मंदिरों में सालभर लगता हैं भक्तों का जमावड़ा, एकबार जरूर करें दर्शन
भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता हैं क्योंकि देशभर में कई देवी-देवताओं के हजारों मंदिर हैं और हर मंदिर अपनी अलग और अनोखी विशेषता के चलते विशेष पहचान रखता हैं। देश के इन मंदिरों में त्यौहारों पर अलग ही माहौल देखने को मिलता हैं। पूरे साल मातारानी के मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा देखते ही बनता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ प्रसिद्द मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं। अगर आप भी इन पवित्र मंदिरों में एकबार दर्शन के लिए जरूर जाएँ। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में-
मां पीतांबरा देवी, मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा सिद्धपीठ है। इसकी स्थापना 1935 में स्वामीजी ने की थी। यहां मां के दर्शन के लिए कोई दरबार नहीं सजाया जाता बल्कि एक छोटी सी खिड़की है, जिससे मां के दर्शन का सौभाग्य मिलता है। यहां मां पीतांबरा देवी तीन प्रहर में अलग-अलग स्वरूप धारण करती हैं। यदि किसी भक्त ने सुबह मां के किसी स्वरूप के दर्शन किए हैं तो दूसरे प्रहर में उसे दूसरे रूप के दर्शन का सौभाग्य मिलता है। मां के बदलते स्वरूप का राज आज तक किसी को नहीं पता चल सका। इस इसे चमत्कार ही माना जाता है। यूं तो हर समय ही यहां भक्तों का मेला सा लगा रहता है लेकिन नवरात्र में मां की पूजा का विशेष फल बताया गया है। कहा जाता है कि पीले वस्त्र धारण करके, मां को पीले वस्त्र और पीला भोग अर्पण करने से भक्त की हर मुराद यहां पूरी होती है।
कालीघाट मंदिर, कोलकाता
कोलकाता के इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई जाती है। लोकप्रिय मान्यता ये है कि देवी सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था जहां आज ये मंदिर है। कालीघाट मंदिर में नवरात्रि के महीनों के दौरान हजारों भक्तों की भीड़ रहती है। ये प्रमुख मंदिर 2000 वर्ष से भी अधिक पुराना है और आदि गंगा नामक एक छोटे से जल निकाय के तट पर स्थित है। इस मंदिर की यात्रा करें क्योंकि ये एक महत्वपूर्ण शक्ति पीठ के रूप में मशहूर है।
चामुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर
यह मंदिर मैसूर में सुंदर चामुंडी हिल्स के शीर्ष पर स्थित है और दक्षिण भारत में प्रसिद्ध देवी मंदिरों में से एक है। देवी दुर्गा के एक अवतार देवी चामुंडी को समर्पित, इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण देवी चामुंडी की मूर्ति है, जो शुद्ध सोने से बनी है। मंदिर का एक और आकर्षण राक्षस महिषासुर की 16 फीट ऊंची प्रतिमा है।
अम्बाजी मंदिर, गुजरात
यह मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग बारह सौ साल पुराना है। इस मंदिर के जीर्णोद्धार का काम 1975 से शुरू हुआ था और तब से अब तक जारी है। श्वेत संगमरमर से निर्मित यह मंदिर बेहद भव्य है। मंदिर का शिखर एक सौ तीन फुट ऊंचा है। शिखर पर 358 स्वर्ण कलश सुसज्जित हैं। मां अम्बा-भवानी के शक्तिपीठों में से एक इस मंदिर के प्रति मां के भक्तों में अपार श्रद्धा है। मंदिर के गर्भगृह में मांकी कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है। यहां मां का एक श्री-यंत्र स्थापित है। इस श्री-यंत्र को कुछ इस प्रकार सजाया जाता है कि देखने वाले को लगे कि मां अम्बे यहां साक्षात विराजी हैं। नवरात्र में यहां का पूरा वातावरण शक्तिमय रहता है।
मां त्रिपुर सुंदरी, बिहार
बिहार के बक्सर में तकरीबन 400 साल पहले ‘मां त्रिपुर सुदंरी’ मंदिर का निर्माण हुआ था। कहा जाता है कि इसका निर्माण तांत्रिक भवानी मिश्र ने किया था। यहां मंदिर में प्रवेश करते हैं अद्भुत शक्ति का आभास होता है। साथ ही मध्य रात्रि में मंदिर परिसर से आवाजें आनी शुरू हो जाती हैं। पुजारी बताते हैं कि यह आवाजें मां की प्रतिमाओं के आपस में बात करने से आती हैं। हालांकि इस मंदिर से आने वाली आवाजों पर पुरातत्व विज्ञानियों ने कई बार शोध भी किया गया लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिल सका। इसके बाद यह शोध भी बंद कर दिए गए। वासंतिक हो या शारदीय यहां साधकों की भीड़ लगी रहती है।
दुर्गा मंदिर, वाराणसी
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक बंगाली महारानी ने 18 वीं सदी में करवाया था। यह मंदिर, भारतीय वास्तुकला की उत्तर भारतीय शैली की नागारा शैली में बनी हुई है। इस मंदिर में एक वर्गाकार आकृति का तालाब बना हुआ है जो दुर्गा कुंड के नाम से जाना जाता है। यह इमारत लाल रंग से रंगी हुई है जिसमें गेरू रंग का अर्क भी है। मंदिर में देवी के वस्त्र भी गेरू रंग के है। एक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को मनुष्यों द्वारा नहीं बनाया गया है बल्कि यह मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी, जो लोगों की बुरी ताकतों से रक्षा करने आई थी। नवरात्रि और अन्य त्योहारों के दौरान इस मंदिर में हजारों भक्तगण श्रद्धापूर्वक आते हैं।
माता वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू कश्मीर
जम्मू और कश्मीर के कटरा जिले में वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए साल भर सैकड़ों और हजारों तीर्थयात्री आते हैं। ये देश के 108 शक्तिपीठों में से एक है। देवी वैष्णो देवी को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है और वो मंदिर की पवित्र गुफा के भीतर चट्टानों के रूप में निवास करती हैं। भक्त आमतौर पर कटरा से 13 किमी की चढ़ाई पर चढ़ते हैं और मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए लंबी कतारों में खड़े होते हैं।
नैना देवी मंदिर, नैनीताल
नैना देवी का मंदिर नैनीताल में स्थित है। कहा जाता है कि साल 1880 में भूस्खलन में यह मंदिर नष्ट हो गया, लेकिन बाद में इसका फिर जिर्णोद्धार किया गया। यहां मां नैना देवी की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां माता सती की आंखें गिरी थीं, जिस कारण इस पवित्र स्थाल का नाम नैना देवी पड़ा। नवरात्रि के दौरान इस शक्तिपीठ में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पहुंचते हैं।
श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर
कोल्हापुर में स्थापित यह मंदिर प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण चालुक्य साम्राज्य के द्वारा करवाया गया माना जाता है। इस मंदिर में मां के महालक्ष्मी के स्वरूप की आराधना की जाती है। यहां भगवान विष्णु मां के साथ विराजते हैं। इसके अलावा इस मंदिर की खासियत है कि यहां सूर्य भगवान साल में दो बार मां महालक्ष्मी के चरणों को छूकर पूजा करते हुए दिखाई देते हैं। इस दौरान इस मंदिर में 3 दिन का विशेष उत्सव भी होता है। यह दृश्य हर साल ‘रथ सप्तमी’ पर लोगों को जनवरी माह में देखने को मिलता है। कहते हैं कि इस मंदिर में भक्त के मन में जो भी विचार आता है, मां की कृपा से वह पूरा जाता है।
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