पर्यटन के साथ अपने इन मंदिरों के लिए भी प्रसिद्द है हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा शहर
हिमाचल पूरे भारतवर्ष में पर्यटन नगरी के रूप में प्रसिद्ध है जहां एक से बढ़कर एक सुंदर और मन को लुभाने वाली जगहें हैं। लेकिन इसी के साथ ही हिमाचल को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है जहां आपको कई मंदिरों के दर्शन करने को मिलते हैं। हिमालय प्रदेश शक्तिशाली चोटियाँ, पर्वत, पहाड़ियाँ और घाटियाँ के साथ साथ पूजनीय मंदिरों और धार्मिक स्थलों से भरा हुआ हैं, जहाँ हर साल लाखों भक्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए यात्रा करते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा शहर के मंदिरों की जानकरी देने जा रहे हैं। कांगड़ा हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल में से एक हैं। यहां के लोग सच्ची श्रद्धा के साथ देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अगर आप भी अपने परिवार के साथ कांगड़ा जा रहे हैं तो इन मंदिरों के दर्शन करने जरूर पहुंचे।
बैजनाथ मंदिर
बैजनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है और यहां भगवान शिव को 'उपचार के देवता' के रूप में पूजा जाता है। बैजनाथ या वैद्यनाथ महान भगवान शिव के अवतार हैं, और इस अवतार में, महान भगवान अपने भक्तों को सभी दुखों और पीड़ाओं से मुक्त करते हैं। जिसकी वजह से यह मंदिर सभी भगवान शिव भक्तों के लिए परम महत्व रखता है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। बैजनाथ मंदिर वास्तुकला की प्राचीन शैली का एक शानदार उदाहरण है, जिसे 'नागरा' के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव अभी भी शिवलिंग के स्वयंभू रूप में निवास करते हैं। आपको बता दें, इस मंदिर के पानी में कई औषधीय महत्व भी पाए जाते हैं इसमें कई बीमारियों को ठीक करने की क्षमता है।
बगलामुखी मंदिर
यह मंदिर कांगड़ा जिले के एक गांव में स्थित है। यहां पर लोग बहुत ही श्रद्धा से आते हैं तथा पूजा अर्चना करते हैं। बगलामुखी मंदिर महाभारत के समय का कालीन माना जाता है। बगलामुखी माता के जिस रूप का वर्णन पांडुलिपियों में किया गया है। उसी स्वरूप को इस मंदिर पर विराजमान किया गया है। बगलामुखी माता के मंदिर में पीले रंग की वस्तु को ज्यादा मान्यता दी जाती है। यहां पर माता को पीले वस्त्र तथा पीले फूलों की माला इत्यादि चढ़ाई जाती है। यहां पर बगलामुखी जयंती भी मनाई जाती है। उस समय यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। यह मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर पहाड़ी में स्थित है तथा यहां पर चारों और घने जंगल भी है।
ज्वाला देवी मंदिर
हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है जो ज्वाला जी को समर्पित है । माना जाता है की यह मंदिर उस जगह पर स्थित है जहाँ देवी सती की जीभ गिरी थी । एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक चरवाहे ने जंगल में अपने मवेशियों को चराने के दौरान एक पहाड़ से लगातार धधकती आग देखी और उस घटना के बारे में राजा को बताया। उसके बाद इस स्थान राजा भूमि चंद ने यहां एक उचित मंदिर का निर्माण कराया। ऐसा माना जाता है कि ज्वाला देवी उन सभी लोगों की इच्छाओं को पूरा करती हैं जो यहां आते हैं और नारियल चढाते है।
चामुंडा देवी मन्दिर
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में प्रमुख मंदिरों में से एक चामुंडा देवी का मंदिर भी स्थित है। यह पर्यटन स्थल धर्मशाला से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चामुंडा देवी का मंदिर उस समय के राजा उमेद सिंह ने 1762 ईस्वी में बनवाया था। इस मंदिर में काली माता की पूजा होती है। यह मंदिर काली माता को समर्पित है। चामुंडा देवी मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता हर किसी पर्यटक को अपनी तरफ आकर्षित व प्रभावित करती है। यहां पर पर्यटकों के लिए एक पिकनिक सपाट भी बना हुआ है। जहां पर अक्सर लोग परिवार संघ सुकून भरा समय बिताते हैं। मान्यता है कि चंड मुंड नाम के दो असुरों का माता काली देवी ने नरसंहार किया था और इसी कारण मंदिर का नाम चामुंडा देवी पड़ा।
ब्रजेश्वरी मंदिर
ब्रजेश्वरी मंदिर नगरकोट शहर में स्थित है, जो भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि जलती हुई देवी सती का बायां स्तन उस भूमि पर गिरा जहां आज खूबसूरत बृजेश्वरी मंदिर है, जिसे भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में मकर सक्रांति का त्यौहार बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस अवसर के दौरान देवी की मूर्ती पर घी लगाया जाता है और 100 बार जल से अभिषेक किया जाता है।
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