इन मंदिरों के दर्शन किए बिना अधूरी है वाराणसी की यात्रा
वाराणसी हिन्दू धार्मिक परंपरा का केन्द्र है। मार्क ट्वेन ने इस शहर की विशेषता बताते हुए लिखा है− वाराणसी इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से भी पुराना है, किवदंती से भी पुराना है, और जितना दिखता है उतना पुराना है। यहां पर कई बेहतरीन मंदिर हैं, जो न सिर्फ आस्था बल्कि आकर्षण का भी केन्द्र है। वाराणसी को मंदिरों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। तो चलिए आज हम आपको वाराणसी के कुछ बेहतरीन मंदिरों के बारे में बता रहे हैं−
विश्वनाथ मंदिर
वाराणसी का विश्वनाथ मंदिर भारत के सबसे पुराने और सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। यह 12 ज्योतिलिंगों में से एक है और इसलिए शिव पूजा का महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां पर हर दिन भारी संख्या पर भक्त आते हैं और विशेष अवसर पर भक्तों की संख्या हजारों से लाखों तक पहुंच जाती है।
अन्नपूर्णा मंदिर
अन्नपूर्णा देवी मंदिर विश्वनाथ मंदिर के काफी समीप स्थित है। इस मंदिर में देवी पार्वती को भोजन और पोषण के दाता के रूप में पूजा जाता है। भक्त यहां पर स्वतंत्र रूप से दान करते हैं। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 1700 के दशक में पेशवा बाजी राव ने करवाया था।
काल भैरव मंदिर
काल भैरव मंदिर भी वाराणसी के सबसे पुराने मंदिरों की सूची में से एक है। माना जाता है कि काल भैरव शहर के संरक्षक हैं और संकट में पड़े भक्तों के रक्षक हैं।भगवान शंकर की नगरी काशी के राजा है बाबा विश्वनाथ और इसके कोतवाल यानी रक्षक हैं बाबा काल भैरव। कहते हैं काशी में कोई भी शुभ काम करने से पहले आपको यहां आते ही सबसे पहले इनके दर्शन ज़रूर करने चाहिए। ये मंदिर भगवान शिव के आक्रामक रूप काल भैरव को समर्पित है। ये मंदिर 17वीं शताब्दी के मध्य का है।ये मंदिर मैदागिन में स्थित है।
भारत माता मंदिर
सिगरा में विद्यापीठ के पास स्थित यह भारत माता को समर्पित एक अनूठा मंदिर है। मातृभूमि को समर्पित यह मंदिर स्वयं में बेहद अनोखा है। इस मंदिर का निर्माण 1936 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में किया गया था। गांधीजी ने खुद मंदिर का उद्घाटन किया था।पूरे भारत में ये इकलौता मंदिर है।
दुर्गा मंदिर
मां दुर्गा को समर्पित ये मंदिर एक कुंड के किनारे बना है। इस मंदिर में उत्तर भारत की लोकप्रिय नागर शैली की वास्तुकला का नमूना दिखाई देता है। इसे स्थानीय लोग बंदर वाला मंदिर भी कहते हैं। 18वीं शताब्दी में बंगाल की एक रानी ने ये मंदिर बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो मूर्ति है वो किसी ने बनाई नहीं थी अपने आप ही बन गई थी।
तुलसी मानस मंदिर
वाराणसी में बिरला तुलसी मानस मंदिर एक बेहद प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यह 1964 में दुर्गाकुंड में बनाया गया था और यह भगवान राम को समर्पित है। तुलसीदास का प्रसिद्ध रामचरितमानस मंदिर की दीवारों पर अंकित है। इस मंदिर में जुलाई/अगस्त के महीनों में कठपुतलियों का एक विशेष खेल प्रदर्शन होता है, जिसका संबंध रामायण से होता है। इस खेल को देखने का एक अलग ही अनुभव है।
संकटमोचन मंदिर
आध्यात्मिक शहर वाराणसी में स्थित संकट मोचन मंदिर भक्तों और साधकों के दिलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बाबा तुलसीदस ने संकटमोचन मंदिर की नीव रखी | भगवान हनुमान को समर्पित, श्रद्धेय मंदिर मुसीबतों को कम करने और अपने भक्तों की रक्षा करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं |
त्रिदेव मंदिर
ऐसा बहुत कम होता है कि हम त्रिदेवों के तीनों देवों− ब्रह्मा, विष्णु और शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर निर्मित हो। दुर्गाकुंड स्थित वाराणसी का त्रिदेव मंदिर इस संदर्भ में अद्वितीय है और प्रत्येक दिन सैकड़ों भक्त यहां पर त्रिदेव के दर्शन करने आते हैं।
विशालाक्षी मंदिर
वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के पास बना है ये सुंदर मंदिर. ये देवी मां की शक्ति पीठ में से एक है।कहते हैं यहां माता सती के झुमके गिर गए थे और वहीं पर ये मंदिर बना है। विशाल अक्षी का अर्थ होता है बड़ी आंखें। ये मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से 1 किलोमीटर दूर है।
मृत्युंजय महादेव मंदिर
शिव को कई रूपों में पूजा जाता हैय इनमें से एक मृत्युंजय का है, अर्थात् जो मृत्यु पर स्वयं विजय प्राप्त करता है। दारानगर स्थित मृत्युंजय के रूप में शिव को समर्पित इस मंदिर में भक्तों द्वारा बड़ी संख्या में आते हैं और अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं।
सारनाथ
सारनाथ देश के सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह वाराणसी शहर से केवल 13 किलोमीटर की दूरी पर है और सारनाथ का स्तूप इसका सबसे बड़ा आकर्षण है।
नेपाली मंदिर
ललित घाट में स्थित नेपाली मंदिर को मिनी खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1800 के दशक में नेपाल के राजा, राणा बहादुर शाह द्वारा किया गया था और यह भगवान शिव को समर्पित है।
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