सांस्कृतिक राजधानी काशी में राजा-रजवाड़ों की धरोहर है रामनगर का किला

ramnagar
WhatsApp Channel Join Now

काशी में गंगा की दूसरी तरफ बसे रामनगर में प्राचीन काशी बसती है। रामनगर में एक किला है जिसे रामनगर किला कहते हैं और ये यहां के राजा काशी नरेश का आधिकारिक और पैतृक आवास है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। रामनगर किला में यहां के राजाओं का एक संग्रहालय भी है। ये राजाओं का 18वीं शताब्दी से आवास है। इसके अलावा इस किले में प्रभु राम बसते हैं। यहाँ की विश्व प्रसिद्द रामलीला के लिए कहा जाता है कि स्वयं प्रभु रामलीला करने आते हैं।

रामनगर की रामलीला
काशी ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में अपना एक स्थान रखने वाली रामनगर की रामलीला में किसी भी तरह के आधुनिक चीज़ों का इस्तेमाल नहीं होता है। यह रामलीला सबसे लम्बी रामलीला होती है और इसमें रौशनी का इस्तेमाल भी लैम्पों से किया जाता है। इसके अलावा किसी भी  माइक का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस लीला के भारत मिलाप और राजगद्दी में लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं।

सरस्वती भवन
रामनगर किले में स्थित सरस्वती भवन में मनुस्मृतियों, पांडुलिपियों, विशेषकर धार्मिक ग्रन्थों का दुर्लभ संग्रह सुरक्षित है। यहां गोस्वामी तुलसीदास की एक पांडुलिपि की मूल प्रति भी रखी है। यहां मुगल मिनियेचर शैली में बहुत सी पुस्तकें रखी हैं, जिनके सुंदर आवरण पृष्ठ हैं।

व्यास मंदिर, रामनगर प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब वेद व्यास जी को नगर में कहीं दान-दक्षिणा नहीं मिल पायी, तो उन्होंने पूरे नगर को श्राप देने लगे।उसके तुरंत बाद ही भगवान शिव एवं माता पार्वतीएक द पति रूप में एक घर से निकले और उन्हें भरपूर दान दक्षिणा दी। इससे ऋषि महोदय अतीव प्रसन्न हुए और श्राप की बात भूल ही गये।इसके बाद शिवजी ने व्यासजी को काशी नगरी में प्रवेश निषेध कर दिया। इस बात के समाधान रूप में व्यासजी ने गंगा के दूसरी ओर आवास किया, जहां रामनगर में उनका मंदिर अभी भी मिलता है।

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story