भारत के इस धाम में कभी नहीं बुझती है ज्योति, यहां पहुँचने के लिए ऐसे करें तैयारी

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चार धामों में आखिरी धाम है बद्रीनाथ धाम। यह मंदिर भगवान् विष्णु को समर्पित है जहां पर उनकी मूर्ति योगमुद्रा में पाई जाती है जो अपने आप में अद्भुत है। इसके साथ यहाँ पर उद्धव, भू देवी, श्री देवी, नारद, माँ लक्ष्मी, गणेशजी और कुबेरजी की मुर्तिया स्थापित है।यहाँ हर साल बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। यह चार धाम यात्रा का एक हिस्सा है और भगवान विष्णु को समर्पित है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में शक्तिशाली नर और नारायण पर्वत श्रृंखला की गोद में स्थित है। समुद्र तल से 3,300 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह शहर बद्रीनाथ मंदिर का घर है। बद्रीनारायण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है,बद्रीनाथ मंदिर के बारे में एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि 6 महीने के लिए मंदिर बंद होने के समय यहां जलाई जाने वाली अखंड ज्योत 180 दिनों से अधिक तक जलती रहती है। कपाट के बंद होने पर भी इस ज्योत का जलते रहना कहीं ना कहीं आश्चर्य का विषय है।

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कब होते हैं भगवान बद्रीनाथ के दर्शन  
बद्रीनाथ मंदिर मई-जून में भक्तों के लिए अपने दरवाजे खोलता है और अक्टूबर -नवंबर में बंद हो जाता है। हर साल बसंत पंचमी को मंदिर के कपाट खोलने की तारीख तय की जाती है, जबकि विजयादशमी को बंद करने की तारीख तय की जाती है। आपको बता दें कि उत्तराखंड में भगवान बद्री का पवित्र मंदिर साल में छह महीने खुला रहता है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के पहाड़ों में गहराई में स्थित है और इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है, जो सर्दियों के मौसम में इसे दुर्गम बना देती है। शुभ अवसर पर, भगवान बद्री की मूर्ति बद्रीनाथ को वापस लाती है, जो जोशीमठ में अपनी सर्दियां बिताते हैं।

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बद्रीनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?
बद्रीनाथ परिवहन के सभी साधनों द्वारा उत्तराखंड के प्रमुख शहरों और उत्तर भारत के शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी से NH 334 और NH 7 के जरिए बद्रीनाथ पहुंचा जा सकता है। कई सरकारी और निजी बसें दिल्ली, देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश से नियमित रूप से चलती हैं। बद्रीनाथ से निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून है, जो 307 किमी पर स्थित है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो 294 किमी है। तीर्थयात्री बस में सवार हो सकते हैं, साझा टैक्सी पकड़ सकते हैं, या बद्रीनाथ के लिए संबंधित स्थान से एक निजी टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।सहस्त्रधारा हेलीपैड, देहरादून से बद्रीनाथ धाम के लिए हेलीकाप्टर सेवा भी उपलब्ध है। मंदिर बद्रीनाथ हेलीपैड से 1.8 किमी की दूरी पर स्थित है जहां सड़क मार्ग से जाया जा सकता है।

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6 महीने देवता करते हैं सेवा 
इस मंदिर में जब सर्दियों में कपाट बंद हो जाते है तब 6 महीने तक भगवान बद्रीनाथ की सेवा देवता करते हैं। इसका प्रमाण यह है कि जब वापस 6 महीने बाद कपाट खोले जाते हैं तो 6 महीने पहले अंदर किया गया दीपक जलता रहता है और वहां पर साफ़ सफाई, ताजे पुष्प मिलते हैं जो कि अपने आप में बहुत आशचर्यजनक है। इसलिए ऐसी मान्यता है की भगवान बद्रीनाथ  की सेवा छह महीने मनुष्य और छह महीने देवता करते हैं।

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बद्रीनाथ धाम की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु से नाराज हो गयी।  इसके बाद माता लक्ष्मी अपने पीहर समुद्र के घर चली गईं इसके बाद भगवान विष्णु भी दुखी होकर नर-नारायण पर्वत के बीच तपस्या करने निकल पड़े। फिर कई सालों बाद देवी लक्ष्मी को अपनी गलती का ज्ञान हुआ, तो वे भगवान विष्णु को ढ़ूंढ़ने के लिए पृथ्वी की और प्रस्थान किया। इन्होंने देखा कि भगवान विष्णु  बर्फ से ढ़के हुए  पर्वतों के बीच बैठे तपस्या कर रहे थे और उन पर बर्फ गिर रही थी। माता लक्ष्मी यह सब देखकर दुखी हुईं और वे बदरी यानी बेर का पेड़ बन गईं और उन पर अपनी शाखाये फैला दी ताकी तप में लीन भगवान विष्णु पर बर्फ ना गिरे। वहीं जब श्री हरि का तप पूरा हुआ तो उन्होंने माता लक्ष्मी को बेर के वृक्ष के रूप में देखा। इससे भगवान विष्णु बहुत खुश हुए और उन्होनें कहा की भविष्य में इस स्थान को बद्रीनाथ धाम से जाना जाएगा। तब से आज तक उस स्थान को बद्रीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है और यही तीर्थ बदरी नारायण या बद्री विशाल के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ आज भी बद्रीनाथ क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में बद्री अर्थ बेर के पेड़ पाए जाते है। 

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बद्रीनाथ घूमने का सबसे अच्छा समय
बद्रीनाथ घूमने का सबसे अच्छा समय मई से जून और सितंबर से अक्टूबर के महीने हैं। बद्रीनाथ मंदिर छह महीने के लिए खुलता है और भारी बर्फबारी के कारण यह सर्दियों के मौसम में बंद रहता है। बद्रीनाथ धाम की यात्रा के लिए आदर्श मौसम गर्मी और मानसून के बाद का मौसम है। ग्रीष्मकाल यात्रा के लिए शांत और आरामदायक रहता है। मानसून के मौसम में, इस क्षेत्र में भारी बारिश होती है, जिससे भूस्खलन होता है और यात्रा मुश्किल हो जाती है। मानसून के बाद, इस क्षेत्र में ठंड और सुखद मौसम का अनुभव होता है। हालांकि, सर्दियों में, बद्रीनाथ क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है, जिससे सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं और मंदिर बंद रहता है।मूर्तियाँ सर्दियों के मौसम में जोशीमठ में स्थानांतरित हो जाती हैं और तीर्थयात्री सर्दियों में भगवान बद्री से आशीर्वाद लेने के लिए नरसिंह मंदिर जा सकते हैं।

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बद्रीनाथ में रहने की सुविधा
बद्रीनाथ में तीर्थयात्रियों और मेहमानों के लिए कई आश्रम, होटल, गेस्ट हाउस, लॉज और रिसॉर्ट उपलब्ध हैं। यहाँ पहले से ही बुक करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यात्रा के मौसम के दौरान, बड़ी संख्या में तीर्थयात्री इस क्षेत्र में आते हैं। उस समय, उचित मूल्य पर अच्छी जगह मिलने की संभावना कम होती है। बद्रीनाथ ऊंचाई पर है और तीर्थयात्री जोशीमठ में ठहर सकते हैं। वे एक दिन की यात्रा में बद्रीनाथ दर्शन कर सकते हैं। बद्रीनाथ धाम और आसपास के स्थानों पर आवास के निम्नलिखित विकल्प उपलब्ध हैं।बद्रीनाथ में उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (यूसीडीडीएमबी) के गेस्ट हाउस। उन्हें आधिकारिक वेबसाइट पोर्टल पर ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। विभिन्न संगठनों की धर्मशालाएं नाममात्र के शुल्क पर। निजी होटल, गेस्ट हाउस और आश्रम। जोशीमठ में होटल, गेस्ट हाउस और लॉज (बद्रीनाथ से लगभग 45 किमी)।

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बद्रीनाथ धाम में घूमने की जगह 
तप्त कुंड, ब्रह्मकपाल , वसुधारा जलप्रपात, व्यास गुफा आदि हैं जहाँ आप घूम सकते हैं। 

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