फेफड़ों को करना है नेचुरली डिटॉक्स, ये आसान तरीके आजमाएं
बढ़े हुए प्रदूषण या दूसरे कारणों के कारण हमारे फेफड़े कमजोर पड़ने लगे हैं। सांस लेने में तकलीफ, हर समय खांसी का रहना है या फिर दूसरी वजहों का होना बताता है कि हमारे फेफड़ों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। लंग्स पर प्रेशर पड़ने इनकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है और अगर इनकी बेहतर देखभाल न की जाए तो दिक्कत अस्थमा तक भी पहुंच सकती है। लोगों को एलर्जी होने के कारण फेफड़ों की हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। इनकी देखभाल के लिए महंगे ट्रीटमेंट्स का लिया जाना कॉमन है। लोग होम्योपैथी की दवाएं खाकर भी लंग्स की हेल्थ को दुरुस्त रखने की कोशिश करते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि कुछ नेचुरल तरीकों को अपनाकर भी लंग्स को डिटॉक्स किया जा सकता है।
वैसे हमारे शरीर में ज्यादातर अंग नेचुरली डिटॉक्सीफिकेशन को फॉलो करते हैं। फिर भी हम कुछ तरीके आजमाकर इस प्रोसेस में थोड़ी हेल्प कर सकते हैं। ऐसा ही कुछ फेफड़ों के साथ भी है प्राणायाम, स्टीमिंग जैसे कारगर तरीकों की हेल्प से नेचुरली लंग्स को डिटॉक्स किया जा सकता है। चलिए आपको बताते हैं ऐसे आसान ट्रिक्स के बारे में…
भाप लेना
कोरोना के बुरे काल में लोगों ने फेफड़ों को मजबूत बनाए रखने के लिए न सिर्फ जड़ी-बूटियों वाला काढ़ा पिया बल्कि इसकी भाप भी ली। इसे स्टीमिंग इनहेल भी पुकारा जाता है जो हमारे फेफड़ों में मौजूद गंदगी को बाहर निकाल फेंक देता है। जनरल ऑफ क्लीनिकल मेडिसिन ने पाया कि स्टीमिंग के जरिए अस्थमा या दूसरी सांस संबंधित तकलीफ में काफी हद तक राहत पाई जा सकती है।भाप से मिलने वाली हल्की गर्मी से हमारी नाक और गले में हुई समस्या को भी दूर किया जा सकता है। आप चाहे तो सीधे गर्म पानी की भाप ले सकते हैं या फिर इसमें नीम की पत्ती जैसी नेचुरल चीजों को डालकर भी स्टीम ले सकते हैं।
प्राणायाम है कारगर उपाय
योग और भारत का संबंध सदियों पुराना है। लंबे समय से भारत में बीमारियों के खतरे को योग से दूर रखा जा रहा है। आज विश्व भर में लोग इसके महत्व को समझकर रोजाना योग करते हैं। फेफड़ों के लिए प्राणायाम जैसी फिजिकल प्रैक्टिस बेहद लाभदायक है। ये हमारे फेफड़ों को डिटॉक्स करके सास लेने की क्षमता को बढ़ाता है। इसका फायदा लंग्स समेत शरीर के दूसरे अंगों को भी मिलता है। ये शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर करके ऑक्सीजन के लेवल को बढ़ाता है। हमें रोजाना कम से कम 10 से 15 मिनट प्राणायाम की प्रैक्टिस करनी चाहिए।
पिएं हर्बल चाय
कुछ जड़ी-बूटियों में डिटॉक्सीफिकेशन के गुण होते हैं जिनमें अदरक, हल्दी और पुदीना का नाम शामिल है। दरअसल, हल्दी में एंटीइंफ्लामेटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इसका पानी बनाकर पीने से शरीर के हिस्सों में सूजन कम होती है। इसके अलावा इन हर्बल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे लंग्स की गंदगी को दूर करने में काम आ सकते हैं। आपको रोजाना खाली पेट हल्दी, तुलसी या दूसरी हर्बल चीजों की चाय या गर्म पानी पीना है।
हरियाली में टाइम बिताएं
हरे-भरे पौधे या पड़े भी हमारे श्वसन तंत्र को दुरुस्त बनाते हैं। बदलती दुनिया में पेड़-पौधे लगातार काटे जा रहे हैं इसलिए लोगों को सांस संबंधित समस्याएं ज्यादा परेशान करने लगी है। ब्रीदिंग सिस्टम को हेल्दी बनाने के लिए आपको कुछ देर ग्रीन एरिया जैसे पार्क में बिताना चाहिए। यहां कुछ देर बैठकर सांस लेने से फेफड़ों का स्वास्थ्य बेहतर हो पाता है। रोज सिर्फ 15 मिनट ऐसे करने से लंग्स डिटॉक्सीफिकेशन हो पाता है।
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