पेट के बल सोने की आदत छोड़ें, वरना हो सकती हैं ये 5 गंभीर समस्याएं

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बहुत से लोग थकान, आलस या लंबे समय से बनी आदत की वजह से पेट के बल सोना पसंद करते हैं। शुरुआत में यह पोजीशन आरामदायक लग सकती है, लेकिन असलियत यह है कि समय के साथ यह आदत शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाती है। नींद की मुद्रा का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है, और अगर आप भी पेट के बल सोते हैं तो सावधान हो जाइए। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह आदत आपके शरीर के किन-किन हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकती है।

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रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है असर

रीढ़ की हड्डी शरीर का सबसे अहम सहारा होती है। जब आप पेट के बल सोते हैं, तो स्पाइन पर जरूरत से ज्यादा दबाव बनता है। धीरे-धीरे उसकी प्राकृतिक आकृति प्रभावित होती है। यही कारण है कि पीठ दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और गंभीर स्थिति में स्लिप डिस्क जैसी परेशानियां जन्म ले सकती हैं। लंबे समय तक इस मुद्रा में सोना आपकी रीढ़ के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

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गर्दन और कंधों में तनाव

पेट के बल सोते समय सांस लेने के लिए सिर को एक ओर घुमाना पड़ता है। यह स्थिति गर्दन की मांसपेशियों पर असमान दबाव डालती है। नतीजतन, सुबह उठते ही अकड़न, दर्द और सिरदर्द की समस्या महसूस होती है। कंधों पर भी लगातार तनाव रहता है, जिससे उनमें जकड़न और थकान बढ़ सकती है। अगर यह आदत लंबे समय तक बनी रहे तो यह सर्वाइकल की समस्या को भी जन्म दे सकती है।

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चेहरे की त्वचा पर बुरा असर

सोते वक्त चेहरा लगातार तकिए से सटा रहता है। इससे स्किन पर घर्षण होता है, जिसके कारण झुर्रियां जल्दी दिखाई देने लगती हैं। वहीं, चेहरे पर मौजूद बैक्टीरिया और पसीना पिंपल्स, एलर्जी या स्किन इंफेक्शन को बढ़ावा दे सकते हैं। खासकर ऑयली स्किन वाले लोगों को यह पोजीशन और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि तेल और पसीना त्वचा को और भी संवेदनशील बना देता है।

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पाचन तंत्र पर दबाव

पेट के बल सोना आपके डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए भी सही नहीं है। इस मुद्रा में पेट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे गैस, अपच और एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है। लंबे समय तक यह आदत गैस्ट्रिक ट्रबल और एसिड रिफ्लक्स जैसी स्थितियों को और गंभीर बना देती है। पाचन संबंधी समस्याओं से बचना चाहते हैं तो इस पोजीशन से दूरी बनाए रखना ही बेहतर है।

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गर्भवती महिलाओं के लिए खतरे का संकेत

गर्भावस्था के दौरान पेट के बल सोना बेहद जोखिम भरा है। इस दौरान मां के शरीर में हो रहे बदलावों के चलते गर्भाशय पर दबाव बढ़ सकता है। नतीजतन, न केवल मां को असहजता महसूस होती है बल्कि भ्रूण के विकास पर भी बुरा असर पड़ सकता है। डॉक्टर भी इस दौरान पेट के बल सोने की आदत को पूरी तरह से त्यागने की सलाह देते हैं।

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