प्रेगनेंसी में कितनी बार और कब करवाना चाहिए अल्ट्रासाउंड?
मां बनने का अहसास हर महिला के लिए अद्भुत होता है। हालांकि इस दौरान महिला को कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है। प्रेगनेंसी के हर फेज में बहुत ही ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है। इस दौरान महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिनपर ध्यान देना बेहद जरूरी है। मां और बच्चे की स्थिति को ट्रैक करने के लिए अल्ट्रासाउंड टेस्ट जरूरी होता है। आइए जानते हैं कि मां को प्रेगनेंसी के दौरान कितनी बार अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाना चाहिए।
कितनी बार करवाना चाहिए अल्ट्रासाउंड
गर्भावस्था में कम से कम 3-4 अल्ट्रासाउंड करवाना जरूरी होता है। हालांकि ज्यादा बार भी इसे कराना ठीक नहीं माना जाता है। बार बार अल्ट्रासाउंड कराने से बच्चे की सेहत को नुकसान हो सकता है। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं गर्भावस्था के पहले 18 सप्ताह में यदि बार-बार अल्ट्रासाउंड किया जाए, तो भ्रूण पर इसका बहुत मामूली सा असर पड़ता है। अल्ट्रासाउंड किरणें शरीर के भीतर भेजकर गर्भाशय में बच्चे की स्थिति को ट्रैक करता है।
पहला अल्ट्रासाउंड:
पहला अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था की पहली तिमाही में किया जाता, जिसे वायबेलिटी स्कैन के रूप में जाना जाता है, जिसे गर्भधारण के 6 से 9 सप्ताह में करवाने की सलाह दी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य गर्भ नलिका और गर्भस्थ शिशु की स्थिति की जांच करना होता है।
दूसरा अल्ट्रासाउंड:
दूसरा अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था के 18 से 20 हफ्ते के बीच किया जाता है। इस दौरान बच्चे का शारीरिक विकास तेज़ी से होता है और बच्चे के अंग स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं।
तीसरा अल्ट्रासाउंड:
गर्भावस्था के 28 से 32 हफ्ते के बीच तीसरा अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। तीसरे अल्ट्रासाउंड से गर्भस्थ शिशु के शारीरिक विकास और वजन की निगरानी की जाती है। डॉक्टर देखते हैं कि बच्चे का वजन जन्म के हिसाब से सही है या नहीं।
चौथा अल्ट्रासाउंड:
चौथा अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था के 34 से 36 हफ्ते में किया जाता है। चौथे अल्ट्रासाउंड से गर्भस्थ शिशु की स्थिति और प्लेसेंटा की स्थिति की जांच की जाती है। यह देखा जाता है कि बच्चा सही स्थिति में है या नहीं। कुछ गड़बड़ होने पर डॉक्टर तुरंत कार्रवाई करते हैं।
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