कोरोना का नया वेरिएंट JN.1 कितना घातक? क्या हैं इसके लक्षण, जानें बचाव के उपाय

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कोरोना का कहर अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि COVID-19 के नए वेरिएंट ने चिंता बढ़ा दी है। ये पिछले वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है। हाल ही में केरल में कोरोना वायरस का JN.1 स्ट्रेन पाया गया है। भारत के केरल में कोविड-19 के नए वेरिएंट जेएन.1 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारत के साथ- साथ चीन और अमेरिका में भी इस वेरिएंट का संक्रमण मिला है। चिंता की बात ये है कि केरल में अभी कोविड-19 के 1,324 एक्टिव केस हैं। 

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यह वैरिएंट दुनिया भर में संक्रमण में एक बार फिर वृद्धि का कारण बन रहा है और स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच खतरे की घंटी बनकर उभर रहा है। सिंगापुर में तो हफ्ते भर के भीतर 56,000 नए मामले सामने आए हैं।  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा कि वायरस विकसित हो रहा है और लगातार बदल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में रविवार को 335 नए कोविड केस दर्ज किए गए, जिसके बाद एक्टिव केस बढ़कर 1,701 हो गए हैं। इस बीच केरल में कोरोना का नए सबवैरिएंट JN.1 की भी पुष्टि हुई है। WHO ने कोविड के साथ-साथ इंफ्लुएंजा और अन्य वायरस के साथ-साथ बैक्टीरिया फैलने पर भी चिंता जाहिर की है।

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नए वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता

कोविड के नए वेरिएंट जेएन.1 ने लोगों को चिंता को बढ़ा दिया है। दुनिया भर में JN.1 कोविड-19 वैरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इनमें से अधिकांश मामले चिकित्सकीय रूप से हल्के होते हैं और मरीज बिना किसी इलाज के अपने घर पर ही ठीक हो रहे हैं। यह पिरोला संस्करण (BA.2.86) का वंशज है. इसका पहला मामला इस साल सितंबर में अमेरिका में सामने आया था। डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन सेंटर (सीडीसी) के मुताबिक कोरोना का यह सबवेरिएंट, ओमिक्रॉन सबवेरिएंट BA.2.86 का वंशज है। इसे ‘पिरोला’ भी कहा जाता है। 

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वैज्ञानिकों की मानें की मानें तो JN.1 और BA.2.86 दोनों में ज्यादा अंतर नहीं है। इनमें सिर्फ स्पाइक प्रोटीन में बदलाव होता है। स्पाइक प्रोटीन जिसे स्पाइक भी कहा जाता है। यह वायरस की सतह पर छोटे कांटेदार यानी स्पाइक्स जैसा दिखाई देता है.इसी वजह से लोगों में वायरस का संक्रमण ज्यादा तेजी से होता। 

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नए वेरिएंट के लक्षण

ऊपरी श्वसन तंत्र में परेशानियां
हल्का बुखार
खांसी
नाक बंद
गले में खराश
नाक बहना
सिर दर्द
पेट में गड़बड़ी
दस्त

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कैसे बचें

इस वेरिएंट में भी वैक्सीन काम आ सकती है, बस याद रखें कि जो वैक्सीन वायरस के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करती हैं, वे JN.1 और BA.2.86 के खिलाफ भी असरदार साबित होनी चाहिए।
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