Health Tips : दाद से प्रभावित हिस्से पर लगाएं ये 5 तेल, जल्द मिलेगा समस्या से छुटकारा
दाद के कारण त्वचा पर लालिमा, छोटे चकत्ते, जलन और लगातार खुजली हो सकती है। यह एक त्वचा संक्रमण है, जो टिनिया नामक कवक के कारण होता है।अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाए तो यह तेजी से दूसरों को भी हो सकता है।आइए आज हम आपको घरेलू नुस्खों के तौर पर 5 ऐसे तेलों के बारे में बताते हैं, जिनका उपयोग दाद से जल्दी छुटकारा दिला सकता है।
नारियल का तेल
नारियल के तेल में एंटी-फंगल गुण होते हैं और यह कैंडिडा जैसे फंगल संक्रमण के इलाज में मदद कर सकता है। इसके हीलिंग गुण जलन और खुजली को भी शांत कर सकते हैं, जो दाद के मुख्य लक्षण हैं।लाभ के लिए अपनी उंगलियों पर थोड़ा-सा नारियल तेल लें और इसे प्रभावित जगह पर धीरे से मालिश करते हुए लगाएं। समस्या के ठीक होने तक इस तेल को दिन में 3-4 बार लगाएं।
अजवाइन की पत्तियों का तेल
आप चाहें तो दाद से राहत पाने के लिए अजवाइन की पत्तियों के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं।इसका कारण है कि इस तेल में एंटी-फंगल गुण होते हैं। इसलिए यह संक्रमण पैदा करने वाले कवक से छुटकारा पाने और लक्षणों का इलाज करने में मदद कर सकता है। लाभ के लिए इस तेल को नारियल के तेल के साथ मिलाएं और इस मिश्रण को प्रभावित जगह पर लगाकर छोड़ दें।
नीलगिरी का तेल
नीलगिरी के तेल में फफूंदनाशक प्रभाव होता है, जो संक्रमण का इलाज करने और प्रभावित हिस्से को आराम देने में मदद कर सकता है। लाभ के लिए नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदों को पानी में मिलाएं। अब इस मिश्रण में रुई को भिगोकर उसे प्रभावित हिस्से पर हल्के हाथों से लगाएं। इस उपाय को हर रात तब तक दोहराएं जब तक प्रभावित हिस्सा ठीक न हो जाए।
नीम का तेल
नीम के तेल भी दाद के इलाज में मदद कर सकता है। इसका कारण है कि यह फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होता है, जो एंटी-फंगल गुण प्रदर्शित करता है।लाभ के लिए रुई पर नीम के तेल की कुछ बूंदें डालें और इसे प्रभावित जगह पर लगाएं। आपको इस तेल को लगभग 8-10 दिनों तक या ठीक होने तक दिन में 2 बार प्रभावित हिस्से पर लगाना होगा।
टी ट्री ऑयल
टी ट्री ऑयल में बायोएक्टिव यौगिक होते हैं, जिनमें एंटी-फंगल गुण होते हैं। इसलिए यह दाद का इलाज करने में मदद कर सकता है।लाभ के लिए टी ट्री ऑयल को मीठे बादाम के तेल या जोजोबा तेल के साथ मिलाकर एक पतला मिश्रण बना लें। अब रुई को तेल के मिश्रण से भिगोकर इसे दाद से प्रभावित हिस्से पर लगाएं।8 से 10 दिनों तक ऐसा लगातार करते रहें।
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