मलेरिया: लक्षण, कारण, बचाव और इलाज
भारत में हर साल मलेरिया की बीमारी के चलते दो लाख से ज्यादा मौतें होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल 2,05,000 मौतें मलेरिया से होती हैं। इस घातक बीमारी की मार सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ती है। 55,000 बच्चे जन्म के कुछ ही सालों के भीतर काल के मुंह में समा जाते हैं।आम तौर पर मलेरिया संक्रमित मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी को लेकर जब हमने जिला मलेरिया अधिकारी एस सी पाण्डेय से बात की तो उन्होंने बताया कि मच्छर के काटने से से कई तरह की बीमारियां होती हैं जिसमें मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू आदि होते हैं।
मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो संक्रमित मच्छर में मौजूद परजीवी की वजह से होती है। ये रोगाणु इतने छोटे होते हैं कि हम इन्हें देख नहीं सकते। मलेरिया बुखार प्लॅस्मोडियम वीवेक्स नामक वाइरस के कारण होता है ।अनोफलीज़ नामक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से मनुष्यों के रक्त प्रवाह में ये वाइरस संचारित होता है। केवल वही मच्छर व्यक्ति में मलेरिया बुखार संचारित कर सकता है, जिसने पहले किसी मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को काटा हो। ये वायरस लिवर तक पहुंच कर उसके काम करने की क्षमता को बिगाड़ देता है।
मलेरिया के लक्षण की बात करें तो इसका लक्षण सभी व्यक्तियों में एक जैसा नहीं होता है, कुछ मरीजों में इसके लक्षण समय पर दिख जाते हैं वहीं कुछ लोगों को इसका पता तब चलता है जब यह भयानक रूप ले लेता है। ज्यादातर इसमें कंपकपी चढ़ना,बुखार, सिरदर्द, और उल्टी,पसीने के बाद, सामान्य तापमान पर लौटने के बाद पसीना आना शामिल है।
मलेरिया को रोकने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं है। इसलिए सबसे जरुरी है की घर के आसपास , पानी इकठ्ठा ना होने दें, खिड़कियों पर जाली लगवाए। मलेरिया के इलाज के लिये अगर बुखार आ रहा है तो डॉक्टर्स से पूछ कर पेरा सिटामॉल ले सकते हैं और तुरंत जाँच कराकर 14 दिन का ट्रीटमेंट पूरा करें। मलेरिया से बचने के लिए जरूरी है कि समय से इसके लक्षण को पहचान लिया जाये और सही समय पर इसका इलाज कर लिया जाये। इसलिएअपने आप को मच्छर के काटने से बचाव का प्रयास किया जाना बहुत जरुरी है।
देखें वीडियो
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।