अब सिर्फ बुजुर्ग नहीं, बच्चे भी झेल रहे हैं हड्डियों की कमजोरी; जानिए क्यों

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कभी हड्डियों की कमजोरी को उम्र से जोड़ा जाता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आजकल ये समस्या छोटे बच्चों में भी आम हो गई है। मामूली गिरावट में फ्रैक्चर, पीठ में दर्द या हर वक्त थकान की शिकायतें बच्चों की कमजोर हड्डियों का संकेत हो सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह केवल पोषण की कमी का नतीजा नहीं है बल्कि बच्चों की बदलती जीवनशैली, खान-पान और आदतों से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। इस लेख में हम समझेंगे कि बच्चों की हड्डियां आखिर क्यों कमजोर हो रही हैं, इसके लक्षण क्या हो सकते हैं और क्या उपाय किए जाएं जिससे उनकी हड्डियों को फिर से मजबूत बनाया जा सके।

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पोषण की गिरावट

बच्चों के भोजन में जब कैल्शियम, विटामिन D और फॉस्फोरस जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा कम हो जाती है, तो यह सीधा असर उनकी हड्डियों की मजबूती पर डालता है। आजकल जंक फूड का चलन बढ़ा है, जो पोषण से रहित होता है और हड्डियों के विकास में बाधा बन सकता है। इसके अलावा, कई बार माता-पिता भी बच्चों के भोजन में स्वाद को प्राथमिकता देते हैं और संतुलित आहार की अनदेखी करते हैं। दूध, दही, हरी सब्जियां और बाजरा जैसे कैल्शियम युक्त भोजन बच्चों के दैनिक आहार का हिस्सा होना चाहिए।

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धूप से दूरी बनाना

बच्चों का बाहर खेलने की बजाय घर के अंदर मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर के सामने अधिक समय बिताना अब एक आदत बन गई है। इसका परिणाम यह होता है कि शरीर में प्राकृतिक रूप से बनने वाला विटामिन D नहीं बन पाता, जो हड्डियों तक कैल्शियम पहुंचाने के लिए अनिवार्य है। केवल भोजन से मिलने वाला कैल्शियम तब तक असरदार नहीं होता जब तक शरीर में पर्याप्त विटामिन D न हो। बच्चों को हर दिन कम से कम 20-30 मिनट सुबह की हल्की धूप में खेलना या टहलना चाहिए।

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फिजिकल एक्टिविटी में गिरावट

कई बच्चे दिनभर पढ़ाई, ऑनलाइन क्लास या मोबाइल-टीवी देखने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि खेलकूद जैसी शारीरिक गतिविधियों से पूरी तरह कट चुके हैं। यह गतिहीन जीवनशैली उनकी हड्डियों की मजबूती को प्रभावित कर रही है। लगातार बैठे रहने से मांसपेशियों में जकड़न और हड्डियों में सूक्ष्म क्षति (माइक्रो-फ्रैक्चर) का खतरा भी बढ़ जाता है।

पढ़ाई या लंबे समय तक बैठने के बाद क्या करें?

हर आधे घंटे में बच्चों को उठाकर थोड़ा टहलने या स्ट्रेचिंग करने के लिए प्रेरित करें। इससे रक्त संचार बेहतर होता है और मांसपेशियों में लचीलापन बना रहता है। उन्हें ऐसी कुर्सी पर बैठने की आदत डालें जो रीढ़ की हड्डी को सही सपोर्ट दे। गलत मुद्रा में बैठना पीठ और गर्दन के दर्द को जन्म देता है, जो लंबे समय में हड्डी की समस्याओं का कारण बन सकता है। बच्चों को योगा, तैराकी, साइक्लिंग या आउटडोर एक्टिविटीज़ में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि उनकी मांसपेशियां और हड्डियां सक्रिय और मजबूत बनी रहें। सप्ताह में कम से कम 3-4 दिन कोई फिजिकल एक्टिविटी ज़रूर शामिल करें।

कैल्शियम की कमी को कैसे पहचानें?

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1. हड्डियों या जोड़ो में लगातार दर्द रहना

कैल्शियम शरीर की हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी होता है। इसकी कमी से हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं, जिससे चलने-फिरने या हल्की गतिविधियों के दौरान भी जोड़ों में दर्द महसूस होता है। यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ और गंभीर हो सकती है, अगर समय रहते इसे न पहचाना जाए।

2. मांसपेशियों में बार-बार खिंचाव या ऐंठन

यदि आपको रात में सोते समय या सुबह उठते वक्त अक्सर पैरों या बाजुओं की मांसपेशियों में खिंचाव होता है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपके शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब नसें और मांसपेशियाँ समुचित संकेतों का आदान-प्रदान नहीं कर पातीं।

3. दांतों का जल्दी सड़ना या टूटना

कैल्शियम दांतों की मजबूती के लिए भी उतना ही आवश्यक है जितना हड्डियों के लिए। इसकी कमी से दांतों की परत कमजोर हो जाती है, जिससे कैविटी, झनझनाहट और जल्दी सड़ने जैसी समस्याएं सामने आती हैं। बच्चों में यह स्थायी दांतों के विकास में भी बाधा डाल सकती है।

4. मामूली चोट में भी फ्रैक्चर हो जाना

जब शरीर में कैल्शियम की मात्रा बेहद कम हो जाती है, तो हड्डियाँ भुरभुरी और कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में हल्की सी गिरावट या टक्कर भी फ्रैक्चर का कारण बन सकती है। यह संकेत हड्डियों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चेतावनी हो सकता है।

5. हर समय थकावट और कमजोरी महसूस होना

कैल्शियम की कमी न केवल हड्डियों बल्कि मांसपेशियों और स्नायु तंत्र को भी प्रभावित करती है। इसके चलते शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है और इंसान अक्सर थका हुआ, कमजोर और उदास-सा महसूस करता है, भले ही वह पर्याप्त आराम कर रहा हो।

बच्चों की हड्डियों को कैसे बनाएं मज़बूत?

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संतुलित भोजन दें: बच्चों के खानपान में दूध, दही, पनीर, अंडे, हरी सब्जियां और बादाम, अखरोट जैसे मेवे जरूर शामिल करें।

विटामिन D का ध्यान रखें: रोज सुबह 20-30 मिनट धूप में बैठने की आदत डलवाएं।

स्क्रीन टाइम सीमित करें: मोबाइल और टीवी पर बिताया समय घटाएं और आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें।

बच्चों की हड्डियों की उपेक्षा करना भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसीलिए जरूरी है कि बचपन से ही उनकी जीवनशैली में सुधार करें और उन्हें पोषक आहार के महत्व को समझाएं। हड्डियों की मजबूती ही उनके सम्पूर्ण शारीरिक विकास की नींव है।

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