नवरात्रि के छठवें दिन कीजिये मां कात्यायनी के दर्शन, संकठा घाट पर आत्माविश्वेश्वर मंदिर में हैं माता विराजमान

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रिपोर्ट - सोनू कुमार

वाराणसी। नवरात्रि की छठवीं तिथि को मां कात्‍यायनी देवी का दर्शन करने की मान्‍यता है। देवी भगवती के छठे स्वरूप का दर्शन साधकों को सद्गति प्रदान करने वाला माना गया है। शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि पर देवी के विशेष तौर पर दर्शन पूजन करने का विधान है। इस बार इनका दर्शन और पूजन सोमवार को किया जा रहा है। भगवान शिव की नगरी काशी में इनका मंदिर चौक थाना अंतर्गत संकठा घाट पर आत्मविश्वेश्वर मंदिर परिसर में मौजूद है।

भोर से ही माता के दर्शन को मंदिर के बार भक्तों की लंबी कतार लग गई। मां को भोर में पंचामृत स्नान के बाद अड़हुल, गेंदा और गुलाब के फूलों से भव्य शृंगार किया गया। मंगला आरती के बाद माता के मंदिर का पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया। श्रद्धालुओं ने नारियल और चुनरी का प्रसाद चढ़ाकर माता से सौभाग्य की कामना की।

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देवी पुराण, स्कंद पुराण में भगवती देवी के इस स्वरूप की महिमा का विस्तृत रूप से बखान किया गया है। महर्षि कात्यायन ने कठिन तपस्या करके भगवान से देवी भगवती परांबा को अपनी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान मांगा था। ईश्‍वरीय अनुकंपा से उनके घर में पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण ही देवी का नाम देवी कात्यायनी पड़ा।

मंदिर के महंत ने बताया कि शारदीय नवरात्र के छठे दिन देवी के छठवें स्वरूप के रूप में मां कात्यायनी के दर्शन पूजन का विधान है। मान्यता है कि उन्होंने महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था इसलिए इन्हें देवी कात्यायनी कहा गया। देवी कात्यायनी के ध्यान और पूजा से सांसारिक कष्टों और भय से मुक्ति मिलती है।

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