काशी की कौड़ी माता का अद्भुत है इतिहास, दर्शन करने मात्र से मिलता है करोड़पति होने का वरदान
सभी का सपना होता है कि वो ज्यादा से ज्यादा धन कमाकर करोड़पति बन जाये और इसके लिए हर कोई कड़ी मेहनत भी करता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि वाराणसी में एक ऐसा मंदिर है जो भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर उनको करोड़पति बना देता है। अगर नहीं तो चलिये आज हम आपको इस मन्दिर के बारे में बताएंगे। इस मंदिर को कौड़िया देवी के नाम से जाना जाता है, और ये मंदिर काशी के खोजवां में स्थित है। ये पूरे भारत में इकलौता मंदिर है जो कौड़ी माता का मंदिर कहलाता है।
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में कौड़ी चढ़ाने से आदमी अमीर बन जाता है। काशी की कौड़िया माता को महालक्ष्मी का रुप माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मां कौड़ी देवी काशी विश्वनाथ की बड़ी बहन मानी जाती हैं। ये दक्षिण भारत की देवी मानी जाती है। शुक्रवार के दिन का इनके पूजा का मान दिन माना गया है। शिवरात्रि से गंगा दशहरा तक इस देवी के दर्शन का मान ज्यादा होता है।
इनकी उत्त्पति दक्षिण भारत में हुई थी। इसके पीछे ये मान्यता है कि 100 साल तक बारिश नहीं हुआ और लोग त्राहि त्राहि करने लगे। तब ब्रम्चारिणी जो माँ दुर्गा का दूसरा स्वरूप मानी गयी हैं उनसे ही कौड़ी माता की उत्पत्ति हुई। जहाँ से वो काशी आईं। ये देवी की एक खासियत थी वो ये की जब ये स्नान कर बाबा को जो भोग लगाती थी वही ये फिर खाती थी। लेकिन स्नान के बाद जब वो आती तो किसी से छू जाने या किसी की परछाई पड़ जाने पर ये दोबारा स्नान के लिए चली जाती ये सिलसिला लगातार एक महीने तक चला,जिसके बाद बाबा विश्वनाथ ने इनको काशी में अपनी बहन बनाकर स्थान दिया और कौड़ी देकर कहा कि जो भी भक्त कौड़ी चढ़ाकर पूजा करेगा उसकी हर मन्नत पूरी होगी।
इतना ही नहीं शिव पुराण और काशी खंड में भी कौड़ी देवी का वर्णन मिलता है। माना जाता है कि दक्षिण भारत में निवास करने वाली कौड़ी देवी बाबा विश्वनाथ के दर्शनों की अभिलाषा लेकर काशी आई। जब वो घूमने की इच्छा से शूद्रों की बस्ती में गई तो वहां जाकर उनके साथ बहुत आपत्तिजनक व्यवहार हुआ। उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर दिया। तब मां अन्नपूर्णा ने उन्हें कौड़ी देवी के रूप में विराजित कर दिया साथ ही आशीर्वाद भी दिया की कौड़ी जिसका कोई मोल नहीं होता तुम्हें उसी रूप में पूजा जाएगा और प्रत्येक युग में पूजने वाला भक्त कभी गरीब नहीं होगा।
इस मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालु महाराष्ट और दक्षिण भारत से दर्शन के लिए आते हैं ,और पूजा के दौरान माता को कौड़ी जरूर चढ़ाते हैं। आने वाले लोगों ने बताया कि ऐसी मान्यता अगर बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद इनका दर्शन नहीं किया जाता तो पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए लोग अगर काशी आते हैं तो बाबा के दर्शन के बाद इस मंदिर में मत्था टेकने जरूर आते हैं।
कैसे पहुंचे कौड़ी माता के मंदिर
कौड़ी माता का मंदिर वाराणसी के खोजवां इलाके में पड़ता है। ये मंदिर वाराणसी स्टेशन से सिर्फ 6 किलोमीटर दूर है। अगर आपको भी कारोबार में घाटा हो रहा है, नया काम शुरु करना चाहते हैं या पैसे-रुपए आने के बावजूद खर्च होता रहता है, तो आप कौड़ी माता के मंदिर में जाकर कौड़ियां चढ़ायें। हो सकता है कि कौड़ी माता आपकी आर्थिक तंगी बहुत जल्दी ख़त्म कर दें।
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