सर्वपितृ अमावस्या है पितृपक्ष का आखिरी दिन, जानिये क्या है पौराणिक मान्यताएं और महत्व

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पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन 6 अक्टूबर को है, ऐसे में इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन भूले-बिसरे सभी पितरों के लिए तर्पण किया जाता है, इसलिए ही इस अमावस्या को सर्वपितृ कहा गया है। 

हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या होती है। कल पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा। साथ ही इस दिन पितरों को साविधि विदा भी किया जाता है, इसलिए इस अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितृ अपने स्वजनों को आशीर्वाद देकर हर्ष पूर्वक अपने अपने लोक को वापस चले जाते हैं। जो लोग पितृ विसर्जन का श्राद्ध नहीं करते उन्हें पूर्वक श्राप दे देते हैं। 

पितृ पक्ष के आखिरी दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन गलत कामों को विशेष रूप से निषेध माना गया है। इस दिन शराब, मांस का सेवन कदापि नहीं करना चाहिए। पितृ विसर्जन संग योग्य ब्राम्हण को दान देने के साथ गौ माता व अन्य पशु - पक्षियों को भी भोजन जरूर कराएं। कहते हैं कि जो लोग इस दिन विशेष सावधानी नहीं बरतते हैं, उन्हें पितृ दोष के विकट प्रकोप को अनन्त काल तक सहना पड़ता है।

महत्व:- हिन्दू धर्म में माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। जन्मदाता माता-पिता को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं।

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