डोमरी के सद्गुरु धाम आश्रम में नवरात्र की पूर्णाहुति, यज्ञ हवन और विशाल भंडारा आयोजित हुआ

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वाराणसी। पड़ाव के गंगा तट डोमरी गांव स्थित सद्गुरु धाम आश्रम आंजनेय मंदिर के प्रांगण में स्वर साधना और नवरात्र का पूर्णाहुति कार्यक्रम बुधवार को संपन्न हुआ। इस मौके पर भव्य यज्ञ हवन और विशाल भंडारा का आयोजन किया और संत महात्माओं की विदाई। 

इस अवसर पर वर्तमान समय के सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद महाराज ने स्वर साधकों, प्रेम साधकों, भक्तों और संतो महात्माओं को संबोधित करते हुए कहा कि आनंद जी हमारे साथ सुबह-सुबह घूमने जाया करते थे। उनका प्रश्न था कि गुरुदेव मेरी चार कहारो की रथी शादी के लिए जा रही थी, उधर सुनीति तथा शांति प्रदान करने वाली अर्थी भी चार कहार लेकर आ रहे थे। दोनों प्रेम में व्याकुल थे मिलन की उत्कंठा थी,  लेकिन जब लाल रंग का सिंदूर दोनों को जोड़ा तो सेवा भाव विस्तार भाव तिरोहण भाव घिर आया। 

लाली लाल से मिल गई, अब लाल घर रहे या बाहर रहे लाली तो रहेगी ही। गुरु की कृपा से लाली व लाल मिल गए सारे प्रश्न गिर गए इसी तरह गोविंद संसार में व्याप्त है। जिसे गुरु के निर्देश पर ही अनुभव किया जा सकता है। 

नवरात्र में काम क्रोध लोभ मोह चित राग अहंकार द्वेष को त्याग कर जब मन नियंत्रित होता है तो नवमी विजयादशमी व एकादशी घट जाती है। 

इस दौरान मुख्य रूप से महात्मा भुनेश्वर महात्मा शांतेश्वर महात्मा राजर्शी दास  महात्मा मंगल विजय  राजू  प्रबोध  आशीष  का विशेष सहयोग रहा।आचार्य संतोष ने सभी कार्य संपन्न कराया जिसके नियंता सुनील थे।

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