जानिए कब है भौम प्रदोष, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 16 नवंबर मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन मंगलवार होने के कारण ये भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। प्रत्येक प्रदोष पर व्रत और पूजन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और वे अपने भक्तों के समस्त संकटों को दूर कर देते हैं। आइए जानते है भौम प्रदोष व्रत का महत्व पूजन का समय व पूजा विधि।

भौम प्रदोष व्रत पर शिव जी के पूजन का शुभ मुहूर्त-

कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ मंगलवार, 16 नवंबर को सुबह 10.31 मिनट से होगा और बुधवार, 17 नवंबर को 2021 को दिन में 12.20 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी। ज्ञात हो कि प्रदोष व्रत में पूजन-विधान सायंकाल यानी सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में किया जाता है। त्रयोदशी तिथि के प्रदोष काल में प्रदोष व्रत का पूजन होता है, अत: मंगलवार को ही भौम प्रदोष के विशेष संयोग में 16 नवंबर को ही रखा जाएगा।

मंगलवार, भौम प्रदोष व्रत पूजन का वि‍शेष मुहूर्त- इस दिन प्रदोष काल सायंकाल में 6.55 मिनट से शुरू होकर 8.57 मिनट तक रहेगा। इस समय भगवान भोलेनाथ का पूजन-अर्चन करना अतिलाभदायी रहेगा।

प्रदोष व्रत का महत्व-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति नियम और निष्ठा से प्रत्येक प्रदोष का व्रत रखता है उसके कष्टों का नाश होता है। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है वह आपका मंगल भी मजबूत होता है। इस व्रत को करने भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आपके परिवार में सुख-शांति व समृद्धि आती है।

प्रदोष व्रत पूजन विधि-

त्रयोदशी तिथि को प्रातः उठकर स्नानादि करके दीपक प्रज्वलित करके व्रत का संकल्प लेते हैं।
पूरे दिन व्रत करने के बाद प्रदोष काल में किसी मंदिर में जाकर पूजन करना चाहिए।
यदि मंदिर नहीं जा सकते तो घर के पूजा स्थल या स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग स्थापित करके पूजन करना चाहिए
शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी व गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए।
धूप-दीप फल-फूल, नैवेद्य आदि से विधिवत् पूजन करना चाहिए।
पूजन और अभिषेक के दौरान शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय का जाप करते रहें।

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