कोरोना वैक्सीन का कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं है : लैंसेट
वहीं भारत बायोटेक वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया के दूसरे चरण के नतीजे पेश किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया, सुरक्षा परिणामों के मूल्यांकन के लिए हमें कोवैक्सीन के फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल के फाइनल रिपोर्ट की जरूरत है। हमारे पास अभी पर्याप्त डेटा नहीं है। हम कम मात्रा की वजह से अन्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं (एंटीबॉडी और सेल-मध्यस्थता प्रतिक्रियाओं) का आकलन कर रहे थे। इसके अलावा, हमें वैक्सीनेट हो चुके लोगों की उम्र या इनमें से किसी रोग से ग्रसित लोगों का डाटा नहीं मिला है। फेज 1 और फेज 2 के क्लीनिकल ट्रायल का डेटा भी चरणबद्ध तरीके से नहीं दिया गया है।
दूसरे चरण के ट्रायल में बहुत बड़ी संख्या में लोग शामिल नहीं थे। इसके अलावा इसमें लैंगिक और नस्लीय विविधता भी सीमित थी। दूसरे नस्लों और लैंगिग समूह के इसके असर की जांच के लिए अभी और ट्रायल की जरूरत है। दूसरे चरण के ट्रायल में 12 से 18 साल और 55 से 65 साल के लोगों को शामिल किया गया था। बच्चों और 65 साल या इससे ज्यादा के लोगों के लिए इस वैक्सीन के प्रभाव की जांच के लिए अभी और स्टडी की जरूरत है।
दूसरे चरण के नतीजों में सबसे आम दिक्कत इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द था, जिसके बाद सिरदर्द, थकान और बुखार था। कोई गंभीर या जानलेवा प्रतिकूल घटनाएं नहीं बताई गईं।
जब 1 मार्च को टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू हुआ, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड का टीका लिया और जिससे लोगों में विश्वास बढ़ा है।
पिछले सप्ताह ही भारत बायोटेक ने घोषणा की थी कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के शुरुआती नतीजे बताते हैं कि यह वैक्सीन 81 फीसदी तक प्रभावी है।
--आईएएनएस
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