कोरोना पर काबू : क्या चीन ने इस्तेमाल की कोई सीक्रेट दवा?
इस बीच बार-बार चीनी लैब से वायरस के लीक होने या वूहानवायरस की बात भी की जा रही है। यहां तक कि अमेरिका जैसे देशों द्वारा डब्ल्यूएचो की रिपोर्ट पर सवाल उठाए जाने का तर्क मीडिया दे रहा है। लेकिन चीन में रहने वाले जानते हैं कि पिछले साल यहां कितने सख्त नियमों का पालन किया गया, जो अब तक जारी है। लेकिन विदेशों में सरकारों व लोगों ने वायरस को उतनी गंभीरता से नहीं लिया। इसी कारण वहां बार-बार महामारी की स्थिति बिगड़ रही है।
चीन के लगभग सभी शहरों में महामारी को अच्छी तरह नियंत्रित किया गया है। इसके बावजूद लोग मॉस्कपहनकर ही अपने घरों से बाहर जाते हैं। किसी भी मॉल में प्रवेश करने पर तापमान मापने या ग्रीनकोड की जांच जैसे कदम जारी हैं। कहने का मतलब है कि चीन को कोरोना महामारी की गंभीरता का अच्छी तरह अंदाजा है। इसी वजह से चीन सरकार व नागरिक अब भी पूरी सतर्कता बरत रहे हैं, क्योंकि यह वायरस जब तक समूचे विश्व से समाप्त नहीं होगा, तब तक इसके प्रसार की आशंका बनी रहेगी।
बता दें कि कई देश महामारी की दूसरी व तीसरी लहर का सामना कर रहे हैं, जबकि चीन ने अपने देश में दूसरी लहर को दस्तक नहीं देने दिया। इसके लिए कड़े उपाय किए गए हैं। राजधानी पेइचिंग में कई महीनों से विदेश से कोई भी सीधी अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट नहीं आई है, जबकि महामारी के प्रकोप के बीच भारत में कुछ समय पहले तक दिल्ली, मुंबई आदि शहरों की लंदन, न्यूयार्क, डरबन से एयर बबल के जरिए लगातार विमान सेवा जारी थी।
विदेश से भारत पहुंचने वाले यात्रियों को सख्त क्वारंटीन में भी नहीं रहना पड़ रहा था। पर चीन में विदेश से आने वाले हर शख्स को दो सप्ताह होटल में पृथकवास में रहना होता है। इस दौरान उसकी कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई तो क्वारंटीन का समय और बढ़ जाता है। होटल के बाद घर में भी एक हफ्ता अलग से रहने की जरूरत होती है।
वायरस पर काबू करने में चीन की गुप्त दवाएं सख्त उपाय व अनुशासन जैसे तरीके हैं। विदेशी मीडिया को चाहिए कि वह इस दिशा में भी ध्यान दे।
(लेखक : अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
--आईएएनएस
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